भाजपा ने 22 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे किए, अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर नजर

भाजपा ने 22 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे किए, अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर नजर

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  • Publish Date - July 1, 2025 / 10:07 PM IST,
    Updated On - July 1, 2025 / 10:07 PM IST

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को छह राज्यों में अपने अध्यक्षों का चुनाव किया। पिछले साल पार्टी के आंतरिक चुनाव शुरू होने के बाद से अब तक 22 राज्यों में उसके संगठनात्मक प्रमुखों का चुनाव हो चुका है। इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक आवश्यक औपचारिकता भी पूरी हो गई है।

महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए, जिसमें पार्टी ने संगठन में लंबे समय तक काम करने वाले और सामाजिक मानदंडों पर खरा उतरने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी।

रवींद्र चव्हाण, एन रामचंदर राव, पी वी एन माधव, राजीव बिंदल और महेंद्र भट्ट को क्रमशः इन राज्यों में पार्टी अध्यक्ष घोषित किया गया। एक दिन पहले ही वे केंद्रीय नेतृत्व द्वारा चयन पर आम सहमति बनाने पर जोर दिए जाने के अनुरूप नामांकन पत्र दाखिल करने वाले एकमात्र नेता थे।

इसी तरह अंडमान एवं निकोबार में अनिल तिवारी को पार्टी अध्यक्ष चुना गया।

आगामी दिनों में मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कुछ और राज्यों में अध्यक्ष चुने जाएंगे।

मध्यप्रदेश में वरिष्ठ विधायक हेमंत खंडेलवाल ने ही नामांकन दाखिल किया, जिससे उनका चुनाव महज औपचारिकता बनकर रह गया। भाजपा के एक नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे उम्मीदवारों को चुना है जो किसी गुट का नेतृत्व करते नहीं दिखते और जिनकी व्यापक स्वीकार्यता है।

पिछले कुछ दिनों में कई प्रदेश प्रमुखों के चुनाव ने भाजपा के संवैधानिक निर्देश को पूरा किया है, जिसके तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू की गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की जगह लेंगे।

भाजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसके 37 संगठनात्मक राज्यों में से कम से कम 19 में अध्यक्षों का चुनाव होना आवश्यक है।

जनवरी 2020 में चुने गए नड्डा का तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उन्हें विस्तार मिलता रहा है। पहले उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के कारण और फिर संगठनात्मक कवायद के कारण विस्तार दिया गया था।

भाषा आशीष नरेश

नरेश