नही रहे ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ का संगीत बनाने वाले खय्याम, मशहूर संगीतकार के निधन से बॉलीवुड में शोक

नही रहे 'मैं पल दो पल का शायर हूं' का संगीत बनाने वाले खय्याम, मशहूर संगीतकार के निधन से बॉलीवुड में शोक

नही रहे ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ का संगीत बनाने वाले खय्याम, मशहूर संगीतकार के निधन से बॉलीवुड में शोक
Modified Date: November 29, 2022 / 08:11 pm IST
Published Date: August 20, 2019 2:05 am IST

नईदिल्ली। बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार खय्याम का 92 साल की अवस्था में सोमवार को मुंबई के जुहू स्थित सुजॉय अस्पताल में निधन हो गया। सोमवार रात करीब साढ़े नौ बजे उन्होने अंतिम सांस ली। खय्याम सांस की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। पिछले एक हफ़्ते से आईसीयू में वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन की खबर से बॉलीवुड में शोक व्याप्त है।

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बता दें कि पंजाब के नवांशहर में जन्मे मोहम्मद जहूर खय्याम ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1947 में की थी। खय्याम ने ‘कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है’, ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ जैसे गानों की धुनें बनाईं। उन्होंने ‘कभी-कभी, उमराव जान, बाजार, नूरी, फुटपाथ, गुल बहार, त्रिशूल, फिर सुबह होगी, शोला और शबनम, शगुन, आखिरी खत, खानदान, थोड़ी सी बेवफाई, चंबल की कसम, रजिया सुल्तान जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था। इतना ही नहीं जब कभी खय्याम की बात की जाती है तो उनके गैर-फिल्मी गानों की खूब चर्चा होती है। असल में उन्होंने ‘बृज में लौट चलो’, ‘पांव पड़ूं तोरे श्याम’, ‘गजब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया’ जैसे गैर-फिल्मी गाने भी बनाए।

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2011 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था। इसके पहले 2007 में खय्याम को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड दिया गया। कभी कभी (1977) और उमराव जान (1982) के लिए खय्याम ने बेस्ट म्यूजिक का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था। खय्याम ने द्वितीय विश्वयुद्ध में एक सिपाही के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com