Delhi-varanasi Bullet train project has become a big challenge

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन परियोजना पर लगेगा ब्रेक! अधिकारियों ने यह रिपोर्ट कर दी खारिज

यह भी देखा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट में कार्यरत अधिकारियों में भी कई चीजों को लेकर आम सहमती नहीं बन पाती जिस कारण इस प्रोजेक्ट में काफी अड़चन आ रही है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : August 20, 2022/12:12 pm IST

Bullet Train Project: बुलेट ट्रेन परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है पर इसमें अब बहुत बड़ी अड़चन आती दिख रही है। दरअसल रेलवे बोर्ड ने दिल्ली-वाराणसी के बीच बन रहे
हाई स्पीड कॉरिडोर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। यह भी देखा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट में कार्यरत अधिकारियों में भी कई चीजों को लेकर आम सहमती नहीं बन पाती जिस कारण इस प्रोजेक्ट में काफी अड़चन आ रही है।                              >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<< 

अधिकारियों ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट की खारिज

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे बोर्ड के सचिव आरएन सिंह की अध्यक्षता में पिछले हफ्ते दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा बैठक हुई थी, इस बैठक में नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (एनएचएसआरसीएल) बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे। एक अधिकारी ने बताया कि इस बैठक में फिजिबिलिटी रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया गया।

रास्ते में आने वाले मोड़ बन रहे अड़चन

फिजिबिलिटी रिपोर्ट में नेशनल हाईवे-2 के साथ-साथ बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने का भी सुझाव दिया गया था। इसमें जमीन का अधिग्रहण सस्ती दरों पर हो सकेगा और निर्माण लागत भी कम होगी। कॉरिडोर के निर्माण पर करीब 2.25 लाख करोड़ रुपके के खर्च का अनुमान लगाया गया है। हालांकि इसकी असली लागत डीपीआर बनने के बाद ही पता चलेगी। वहीं इस कॉरिडोर को बनाने में तकनीकी समस्या ये है कि एनएच-2 दिल्ली से वाराणसी के बीच तमाम स्थानों पर मोड़ हैं, जबकि 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीट कॉरिडोर एक दम सीधा होना चाहिए।

क्यों एकमत नहीं है अधिकारी

दरअसल, मामला ये है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को दिसंबर 2023 में पूरा होना था, लेकिन अभी गुजरात में केवल इसको लेकर खंभे गढ़े हैं, महाराष्ट्र में जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है। देरी के कारण परियोजना की लागत 1.50 लाख करोड़ तक पहुंचने वाली है. अधिकारियों का कहना है कि हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने में 200 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर खर्च पड़ रहा है, इसलिए 160-200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार वाली सेमी हाई स्पीट वंदे भारत ट्रेन ही चलाई जाए। बता दें कि सरकार ने आम बजट में 400 नई वंदे भारत ट्रेन चलाने की घोषणा की है।

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