सीबीआई आरजी कर मामले में कोलकाता पुलिस की ‘केस डायरी’ प्रस्तुत करे : कलकत्ता उच्च न्यायालय

सीबीआई आरजी कर मामले में कोलकाता पुलिस की ‘केस डायरी’ प्रस्तुत करे : कलकत्ता उच्च न्यायालय

  •  
  • Publish Date - March 28, 2025 / 08:38 PM IST,
    Updated On - March 28, 2025 / 08:38 PM IST

कोलकाता, 28 मार्च (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में कोलकाता पुलिस द्वारा शुरू में तैयार की गई ‘केस डायरी’ प्रस्तुत करे।

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने सीबीआई को 23 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई में उन लोगों की सूची सौंपने का भी निर्देश दिया जिनसे मामले में पूछताछ की गई थी।

सीबीआई ने मामले की जारी जांच को लेकर एक सीलबंद स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की। महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त, 2024 को अस्पताल के संगोष्ठी कक्ष में मिला था।

अदालत ने 13 अगस्त, 2024 को मामले की जांच कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी थी।

सीबीआई का पक्ष रखने के लिए अदालत के समक्ष पेश वकील ने कहा कि वह पिछली सुनवाई के दौरान पीठ द्वारा दिये गए निर्देशानुसार ‘केस डायरी’ भी लेकर आए हैं।

सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि क्या अपराध में क्या सामूहिक दुष्कर्म का संकेत मिला है और क्या सीबीआई ने अतिरिक्त संदिग्धों की पहचान की है।

सीबीआई की ओर से पेश हुए उप सॉलिसिटर जनरल राजदीप मजूमदार ने कहा कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 70 (सामूहिक बलात्कार) के अंतर्गत नहीं आता है।

उन्होंने अदालत को बताया कि अपराध स्थल से उपलब्ध सभी डीएनए नमूनों की फोरेंसिक जांच कर ली गई है और देशभर के अस्पतालों के चिकित्सकों का 14 सदस्यीय मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है।

मजूमदार ने कहा कि किसी फोरेंसिक साक्ष्य से सामूहिक दुष्कर्म का मामला स्थापित नहीं हुआ है और ‘डीएनए प्रोफाइलिंग’ केवल दोषी ठहराए गए आरोपी संजय रॉय पर ही की गई थी।

उन्होंने कहा कि इन रिपोर्ट के अलावा, सीबीआई ने मामले के हर पहलू की जांच की और कई चिकित्सकों, नर्स, कर्मचारियों और अन्य लोगों से पूछताछ की।

अदालत ने इस पर कहा कि जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बीच विसंगतियां पाई गई हैं।

न्यायमूर्ति घोष ने रेखांकित किया कि जांच रिपोर्ट में दो चोट के निशान का उल्लेख किया गया है लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उक्त जानकारी नहीं थी।

अदालत ने सवाल किया कि सीबीआई मौजूदा समय में किस पहलु को केंद्र में रखकर जांच कर रही है। इसके जवाब में मजूमदार ने कहा कि एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि क्या अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश थी और क्या सबूत नष्ट करने का कोई प्रयास किया गया था।

इस मामले में सियालदह की सत्र अदालत ने संजय रॉय नामक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए मृत्यु तक कारावास में रखने की सजा सुनाई थी।

भाषा धीरज देवेंद्र

देवेंद्र