सावधान! एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो जरुर दें ध्यान- खराब हो सकता है क्रेडिट स्कोर.. नहीं मिल सकेंगे ये लाभ | careful! If you have more than one bank account, then definitely pay attention

सावधान! एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो जरुर दें ध्यान- खराब हो सकता है क्रेडिट स्कोर.. नहीं मिल सकेंगे ये लाभ

सावधान! एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो जरुर दें ध्यान- खराब हो सकता है क्रेडिट स्कोर.. नहीं मिल सकेंगे ये लाभ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : June 15, 2021/3:30 am IST

नई दिल्ली। अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो ये खबर आपके लिए बेहद जरुरी है। एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। अपने हर अकाउंट को मेनटेन करने के लिए उसमें राशि का एक तय अमाउंट रखना ही होता है।

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मतलब एक से ज्‍यादा अकाउंट होने से आपका बड़ा अमाउंट तो बैंकों में ही फंस जाएगा। उस राशि पर आपको ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 फीसदी ही सालाना रिटर्न मिलता है। वहीं, अगर सेविंग अकाउंट में पैसे रखने के बजाए दूसरी योजनाओं में लगा दें तो आपको सालाना रिटर्न के तौर पर ज्‍यादा ब्‍याज मि‍लेगा।

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किसी भी सैलरी अकाउंट में तीन महीने तक सैलरी नहीं आने से वह सेविंग अकाउंट में कन्वर्ट हो जाता है. सेविंग अकाउंट में तब्दील होने से खाते को लेकर बैंक के नियम बदल जाते हैं। फिर बैंक उसे सेविंग अकाउंट के रूप में ट्रीट करते हैं। बैंक के नियम के मुताबिक, सेविंग अकाउंट में एक न्यूनतम राशि मेनटेन करनी जरूरी है। अगर, आप यह मेनटेन नहीं करते हैं तो आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है और आपके खाते में से जमा रकम से बैंक पैसा काट सकते हैं।

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कई अकाउंट होने से आपको सालाना मेंटनेंस फीस और सर्विस चार्ज देने होते हैं। क्रेडिट और डेबिट कार्ड के अलावा अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी बैंक आपसे पैसे चार्ज करता है. तो यहां भी आपको काफी पैसों का नुकसान उठाना पड़ता है। एक से ज्यादा निष्क्रिय खाते होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर भी इसका खराब असर पड़ता है। आपके खाते में न्यूनतम बैलेंस मेनटेन नहीं होने से क्रेडिट स्कोर खराब होता है। इसलिए कभी भी निष्क्रिय खाते को हल्के में न लें और नौकरी छोड़ने के साथ ही उस खाते को बंद करा दें।

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ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से टैक्स जमा करते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कागजी कार्रवाई में भी ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ती है। साथ ही इनकम टैक्स फाइल करते समय सभी बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां रखनी पड़ती है। अक्‍सर उनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफी पेचीदा काम हो जाता है। सभी बैंकों की डीटेल नहीं देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में आ जाते हैं।