जनगणना की अधिसूचना ‘खोदा पहाड़ा, निकली चुहिया’ जैसी, इसमें जातिगत गणना का उल्लेख नहीं: कांग्रेस

जनगणना की अधिसूचना ‘खोदा पहाड़ा, निकली चुहिया’ जैसी, इसमें जातिगत गणना का उल्लेख नहीं: कांग्रेस

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  • Publish Date - June 16, 2025 / 02:54 PM IST,
    Updated On - June 16, 2025 / 02:54 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि जनगणना को लेकर जारी अधिसूचना ‘खोदा पहाड़ा, निकली चुहिया’ जैसी है और इसमें जातिगत गणना का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 16वीं जनगणना में तेलंगाना मॉडल अपनाते हुए, केवल जातियों की गिनती ही नहीं बल्कि जातिवार सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी जुटाई जानी चाहिए।

सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की। पिछली बार ऐसी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी।

अधिसूचना में कहा गया है कि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना एक अक्टूबर 2026 से तथा देश के बाकी हिस्सों में एक मार्च 2027 से की जाएगी।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लंबे इंतजार के बाद बहुप्रचारित 16वीं जनगणना की अधिसूचना आखिरकार जारी हो गई है। लेकिन यह एकदम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसी है क्योंकि इसमें 30 अप्रैल 2025 को पहले से घोषित बातों को ही दोहराया गया है।’’

उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि कांग्रेस की लगातार मांग और दबाव के चलते ही प्रधानमंत्री को जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के मसले पर झुकना पड़ा।

उन्होंने कहा, ’’ प्रधानमंत्री ने इसी मांग को लेकर कांग्रेस नेताओं को “अर्बन नक्सल” तक कह दिया था। संसद हो या उच्चतम न्यायालय, मोदी सरकार ने जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया था। अब से ठीक 47 दिन पहले, सरकार ने खुद इसकी घोषणा की।’’

रमेश के अनुसार, आज की राजपत्र अधिसूचना में जातिगत गणना का कोई उल्लेख नहीं है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह फिर वही यू-टर्न है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहचान बना चुके हैं? या फिर आगे इसके विवरण सामने आयेंगे?’’

रमेश ने जोर देकर कहा, ‘‘कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि 16वीं जनगणना में तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए। यानी सिर्फ जातियों की गिनती ही नहीं बल्कि जातिवार सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी जुटाई जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण में 56 सवाल पूछे गए थे। अब सवाल यह है कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाले ‘नॉन बायोलॉजिकल’ व्यक्ति में क्या इतनी समझ और साहस है कि वह 16वीं जनगणना में भी 56 सवाल पूछने की हिम्मत दिखा सकें?’’

भाषा हक

हक संतोष

संतोष

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