गरीबों, बच्चों के लिए पृथक-वास केंद्र के अनुरोध पर विचार करे केंद्र, दिल्ली सरकार: अदालत

गरीबों, बच्चों के लिए पृथक-वास केंद्र के अनुरोध पर विचार करे केंद्र, दिल्ली सरकार: अदालत

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  • Publish Date - May 17, 2021 / 07:44 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र तथा दिल्ली सरकार से कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी में गरीब तबके और बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों में चिकित्सीय सुविधाओं से लैस पृथक-वास केंद्र बनाने के एक न्यास के अनुरोध पर विचार करें और निर्णय लें।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल तथा न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के वक्त यह कहा। महात्मा हजारीलाल मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से भी समान विषय पर याचिका दायर की गई है।

अदालत ने कहा कि न्यास के अनुरोध पर कानून, नियमों और मामले में लागू हो सकने वाली सरकारी नीति के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

न्यास ने घर में पृथक-वास की वर्तमान नीति में संशोधन की मांग की है। उसने दावा किया है कि यह नीति ज्यादातर लोगों के लिए विफल साबित हो रही है क्योंकि परिवार के किसी सदस्य के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर उसे अलग कमरे में रखने की व्यवस्था हर कोई नहीं कर सकता है।

याचिका में कहा गया, ‘‘घर में पृथक-वास की नीति के तहत संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखना होता है और उस कमरे के साथ अलग शौचालय भी होना आवश्यक है ताकि संक्रमित व्यक्ति परिवार के अन्य सदस्यों से शारीरिक संपर्क में कम से कम आए। संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने वाला भी कोई होना चाहिए। लेकिन असलियत में निम्न मध्यम वर्ग के कितने घरों में अलग शौचालय वाला अलग कमरा हो सकता है। यही वजह है कि परिवार के अन्य सदस्य भी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं और इससे शहर के अस्पतालों पर मरीजों का भार बढ़ता है।’’

इसमें बच्चों के लिए भी स्वास्थ्य प्रबंधन सुविधाएं तथा पृथक-वास केंद्रों की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कई विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी की तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित हो सकते हैं।

भाषा मानसी अनूप

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