नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों के निर्वासन से संबंधित ज्ञापन को सीलबंद लिफाफे में साझा करने के लिये कहा।
केंद्र सरकार के वकील देव प्रकाश भारद्वाज अदालत को बताया कि दस्तावेज गोपनीय है, जिसके बाद न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा, ”इतना गोपनीय क्या है? आप केन्द्र की ओर से पेश होते हैं, इसलिये आपको गोपनीय कहने की आदत है।”
इसपर भारद्वाज ने कहा कि दस्तावेज को सीलबंद लिफाफे में अदालत के साथ साझा किया जा सकता है, हालांकि उन्होंने खुद इसे नहीं देखा है।
अदालत बांग्लादेशी नागरिक होने का दावा करने वाले तीन लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो अपने देश में वापस जाने की मांग कर रहे हैं। इन तीन में से एक नाबालिग है। इनका कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि वे यहां कैसे पहुंचे। फिलहाल वे एक रैन बसेरे में रह रहे थे। इनका प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता कमलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि उनके मुवक्किलों को जाने की अनुमति देकर याचिका का निपटारा किया जा सकता है।
हालांकि, अदालत ने जवाब दिया, ”यह इतना आसान नहीं है। मैं इतना आसान आदेश नहीं दे सकती।”
भारद्वाज ने कहा कि ऐसे मामलों में एक प्रक्रिया का पालन किया जाना होता है और उन्हें पहले बांग्लादेश के दूतावास से ”निकास अनुमति” प्राप्त करनी होगी।
याचिका के जवाब में दायर अपने हलफनामे में गृह मंत्रालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ), दिल्ली ने कहा कि चूंकि यहां विदेशी नागरिकों के पास अपनी पहचान साबित करने के लिए वीजा जैसा कोई यात्रा दस्तावेज नहीं है, इसलिए ये अवैध प्रवासी हैं, जिन्हें उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि होने के बाद ही उनके देश भेजा जा सकता है।
मामले पर अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी।
भाषा जोहेब माधव
माधव
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