छत्तीसगढ़ः सरगुजा में कांग्रेस के सामने 2018 का प्रदर्शन दोहराने में आंतरिक कलह, सत्ता विरोधी लहर मुख्य बाधाएं

छत्तीसगढ़ः सरगुजा में कांग्रेस के सामने 2018 का प्रदर्शन दोहराने में आंतरिक कलह, सत्ता विरोधी लहर मुख्य बाधाएं

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  • Publish Date - November 11, 2023 / 01:15 PM IST,
    Updated On - November 11, 2023 / 01:15 PM IST

(प्रशांत रंगनेकर)

सरगुजा, 11 नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सरगुजा प्रशासनिक प्रखंड में कांग्रेस के लिए 2018 का प्रदर्शन दोहराने की राह में आंतरिक कलह और सत्ता विरोधी लहर मुख्य बाधाएं हैं।

पार्टी ने छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद 2018 में पहली बार इस क्षेत्र की सभी 14 सीटों पर जीत हासिल की थी। इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर जीत मिलने से राज्य में पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या में भारी इजाफा हुआ था। कांग्रेस ने तब 90 में से 68 सीट जीती थीं और 15 वर्ष बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य की सत्ता से बाहर कर दिया था।

एक विश्लेषक का मानना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के बीच प्रतिद्वंद्विता पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। दोनों इसी क्षेत्र से आते हैं।

सरगुजा संभाग में छह जिले-जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा, बलरामपुर और नवगठित मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) शामिल हैं।

इन छह जिलों में जशपुर जिले में कुनकुरी, पत्थलगांव और जशपुर; सरगुजा जिले में अंबिकापुर, लुंड्रा और सीतापुर; बलरामपुर जिले में प्रतापपुर, रामानुगंज और सामरी; सूरजपुर जिले में प्रेमनगर और भटगांव; कोरिया जिले में बैकुंठपुर और एमसीबी जिले में मनेंद्रगढ़ और भरतपुर-सोहनाट सहित कुल 14 विधानसभा सीट मौजूद हैं। इन सभी सीटों पर चुनाव के दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा।

नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य के उत्तरी भाग में स्थित सरगुजा घने जंगलों और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता है। एक वक्त इसे नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता था, लेकिन बाद में यहां शांति कायम करने में कामयाबी मिली।

इस क्षेत्र की सीमा उत्तर में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में मध्य प्रदेश और पूर्व में झारखंड से लगती है।

वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने क्षेत्र की नौ और कांग्रेस ने पांच सीटें जीती थीं। वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को सात-सात सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, 2018 के चुनाव में भाजपा को सरगुजा संभाल की सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।

भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तीन मंत्री-टीएस सिंहदेव, अमरजीत भगत और प्रेमसाय सिंह टेकाम सरगुजा संभाग से ताल्लुक रखते थे। टेकाम ने इस वर्ष जुलाई में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

सिंहदेव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कांग्रेस निश्चित रूप से अधिकतर सीटों पर बढ़त बनाएगी। मुझे लगता है कि कांग्रेस को 10-11 से कम सीटें नहीं मिलेंगी।’’ हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी को इस बार कुछ झटका लग सकता है।

सिंहदेव ने कहा, ‘‘पिछली बार को छोड़कर कभी किसी ने 14 में से 14 सीटें नहीं जीतीं। आप हर वक्त तिहरा शतक नहीं जड़ सकते।’’

कांग्रेस ने इस बार चार विधायकों-प्रेमसाय सिंह टेकाम (प्रतापपुर), चिंतामणि महाराज (समरी), बृहस्पत सिंह (रामानुगंज) और विनय जायसवाल (मनेन्द्रगढ़) को टिकट नहीं दिया है।

सिंहदेव ने कहा कि सभी को विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर सामने आई जानकारी को ध्यान में रखते हुए टिकट नहीं दिया गया है।

सरगुजा के पत्रकार सुधीर पांडे ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए इस बार नये चेहरों को मैदान में उतारा है।

भाजपा ने दो मौजूदा सांसदों-केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह (भरतपुर सोहनाट) और गोमती साय (पत्थलगांव) के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय (कुकुरी) को टिकट दिया है।

पार्टी ने सीतापुर में रामकुमार टोप्पो (33) को मंत्री अमरजीत भगत के खिलाफ मैदान में उतारा है। टोप्पो इस साल की शुरुआत में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छोड़कर राजनीति में शामिल हुए थे।

वहीं, कांग्रेस ने अंबिकापुर के दो बार के महापौर अजय तिर्की को रामानुजगंज से उम्मीदवार बनाया है।

भाषा शोभना पारुल

पारुल