‘सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद पेंशन की हकदार नहीं होगी ऐसी संतान, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि सरकारी कर्मी पति की मौत के बाद एक विधवा द्वारा गोद ली गई संतान पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं होगी।
OROP pension latest update
‘Children adopted after death of government employee not entitled to family pension’
नयी दिल्ली, 17 जनवरी। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि सरकारी कर्मी पति की मौत के बाद एक विधवा द्वारा गोद ली गई संतान पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं होगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरणपोषण अधिनियम, 1956 की धारा आठ और 12 एक हिंदू महिला को अपने अधिकार में एक बेटे या बेटी को गोद लेने की अनुमति देती है जो नाबालिग या मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं हो।
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अदालत ने कहा कि कानून के प्रावधान के अनुसार एक हिंदू महिला पति की सहमति के बगैर गोद नहीं ले सकती।
हालांकि, इस तरह की कोई पूर्व शर्त हिंदू विधवा, तलाकशुदा हिंदू विधवा या उस हिंदू महिला के बारे में लागू नहीं होती जिसके पति ने शादी के बाद, अंतिम रूप से दुनिया को त्याग दिया हो या जिसे सक्षम अदालत ने मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया हो।
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न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने 30 नवंबर, 2015 के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 54 (14) (बी) और 1972 के (सीसीएस (पेंशन) नियम के तहत गोद लिया गया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा।
पीठ ने कहा कि यह जरूरी है कि पारिवारिक पेंशन के लाभ का दायरा सरकारी कर्मी द्वारा अपने जीवन काल में केवल वैध रूप से गोद लिए गए बेटों और बेटियों तक सीमित हो।

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