‘तैयार’ मामले को सूचीबद्ध न किये जाने को लेकर रजिस्ट्री के अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब

‘तैयार’ मामले को सूचीबद्ध न किये जाने को लेकर रजिस्ट्री के अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब

‘तैयार’ मामले को सूचीबद्ध न किये जाने को लेकर रजिस्ट्री के अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब
Modified Date: November 29, 2022 / 08:15 pm IST
Published Date: November 3, 2022 9:15 pm IST

नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पंजीयकों की सीलबंद रिपोर्ट में नामित अपने अधिकारियों को इस बात का लिखित स्पष्टीकरण दाखिल करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि सुनवाई के लिए तैयार एक मामले को डेढ़ साल से अधिक समय तक एक पीठ के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया।

प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने रिपोर्ट का अध्ययन किया और नामित अधिकारियों को स्पष्टीकरण के लिए पांच नवम्बर तक का समय देने का फैसला किया। पीठ ने मामले को सूचीबद्ध न करने पर एक नवंबर को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया था।

पीठ ने कहा, ‘‘इससे पहले कि हम मामले में कोई राय निर्धारित करते हैं, उससे पहले संबंधित अधिकारियों को हमारे समक्ष अपना स्पष्टीकरण रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।’’

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आदेश में कहा गया है, ‘‘संबंधित अधिकारियों को रजिस्ट्रार की रिपोर्ट से जुड़े सभी दस्तावेजों के पड़ताल की सुविधा भी होगी। स्पष्टीकरण पांच नवंबर को या उससे पहले दायर किया जाएगा। मामले को सात नवंबर को विचार के लिए सूचीबद्ध करें।’’

न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने यह भी कहा कि रजिस्ट्री की ओर से दी गई रिपोर्ट की कॉपी संबंधित अधिकारियों को देने के बाद (लिफाफे को) दोबारा सील किया जाए।

इससे पहले, पीठ ने डेढ़ साल से अधिक समय तक एक मामले को सूचीबद्ध न करने पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी, जबकि वह एक पीठ द्वारा सुनवाई के लिए तैयार थी।

पीठ अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली तथा अवमानना ​​के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाली आर. सुब्रमण्यम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

भाषा सुरेश माधव

माधव


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