Publish Date - May 24, 2025 / 03:40 PM IST,
Updated On - May 24, 2025 / 04:51 PM IST
HIGHLIGHTS
IPC धारा 377 के तहत पत्नी के साथ “अप्राकृतिक यौन संबंध” का मामला रद्द, क्योंकि यह सहमति से हुआ था।
नवतेज सिंह जौहर मामले का हवाला देते हुए, कोर्ट ने सहमति को अपराध न मानने की बात दोहराई।
कोर्ट ने कहा कि IPC अब वैवाहिक संबंधों में सहमति को मान्यता देता है, इसलिए बलपूर्वक का स्पष्ट आरोप जरूरी है।
नई दिल्ली: Delhi High Court दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानून वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा को मान्यता नहीं देता है तथा उसने (न्यायालय ने) एक व्यक्ति के खिलाफ अपनी पत्नी के साथ ‘‘अप्राकृतिक’’ यौन संबंध बनाने के लिए मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत ऐसे कृत्यों को दंडित करना वैवाहिक संबंधों पर लागू नहीं होगा।
Delhi High Court न्यायमर्ति स्वर्ण कांता शर्मा एक निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उस व्यक्ति की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें अपनी पत्नी के साथ कथित तौर पर यौन कृत्य (ओरल सेक्स) करने के लिए उसके खिलाफ धारा 377 (अप्राकृतिक अपराधों के लिए दंड) के तहत आरोप तय करने का निर्देश दिया गया था। फैसले में कहा गया कि कानून वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा को मान्यता नहीं देता।
इसने कहा, ‘‘यह मानने का कोई आधार नहीं है कि पति को आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 के मद्देनजर आईपीसी की धारा 377 के तहत अभियोजन से संरक्षण नहीं मिलेगा, क्योंकि कानून (आईपीसी की संशोधित धारा 375) अब वैवाहिक संबंध के भीतर यौन कृत्यों (जैसे एनल या ओरल सेक्स) के लिए भी सहमति मानता है।’’ उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी ने स्पष्ट रूप से यह आरोप नहीं लगाया कि यह कृत्य उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी सहमति के बिना किया गया था।
अदालत ने कहा, ‘‘नवतेज सिंह जौहर (मामले) के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत किसी भी दो वयस्कों के बीच अपराध की श्रेणी में आने वाली सहमति की कमी का आवश्यक तत्व स्पष्ट रूप से गायब है। इस प्रकार प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध प्रतीत होता है।’’
नवतेज मामले में उच्चतम न्यायालय ने वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। अदालत ने 13 मई के अपने आदेश में कहा, ‘‘आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए आरोप तय करने का निर्देश देने वाला आदेश कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।’’
क्या IPC की धारा 377 वैवाहिक संबंधों में भी लागू होती है?
नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध (जैसे ओरल या एनल सेक्स) होता है, तो IPC की धारा 377 वैवाहिक संबंधों में लागू नहीं होती।
क्या भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाता है?
नहीं, वर्तमान कानून (IPC की धारा 375 का अपवाद 2) वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा को मान्यता नहीं देता, जब तक कि पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक हो।
IPC 377 केस में कोर्ट का फैसला क्यों अहम है?
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यह स्पष्ट करता है कि सहमति से किया गया कोई भी यौन संबंध, चाहे वो पारंपरिक न हो, अपराध की श्रेणी में नहीं आता।