जयपुर, 25 नवंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि संविधान केवल कानूनों का दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और हमारे राष्ट्रीय चरित्र का मार्गदर्शक है।
उन्होंने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व जैसे मूल मूल्य हमारे लोकतंत्र की नींव हैं और युवाओं के लिए इन्हें समझना और अपने व्यवहार में उतारना बेहद आवश्यक है।
वे संविधान दिवस के अवसर पर यहां एक निजी विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ‘संविधान को जानो’ जैसे प्रयास आज के समय की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों में देश के अलग-अलग राज्यों और दुनिया के कई देशों से विद्यार्थी पढ़ते हैं, वे भारत की विविधता का सबसे सुंदर स्वरूप दिखाते हैं।
यही विविधता हमारी शक्ति है और संविधान इसे एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है।
बिरला ने कहा कि संविधान निर्माण की प्रक्रिया स्वतंत्रता आंदोलन की निरंतरता थी और डॉ. भीमराव अंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों ने तीन वर्षों तक व्यापक चर्चा करके एक ऐसा संविधान तैयार किया जो हर नागरिक को न्याय और अधिकार का भरोसा देता है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब दुनिया को संदेह था कि इतनी विविधता वाला देश संसदीय लोकतंत्र को लंबे समय तक नहीं चला पाएगा, लेकिन भारत ने साबित किया कि विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि वे छात्रों में संवैधानिक मूल्यों, कर्तव्य-बोध और राष्ट्रहित की भावना को और मजबूत करें।
भाषा पृथ्वी
संतोष
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