अवमानना मामला: न्यायालय ने अपमानजनक आरोपों के लिए वकील से माफी मांगने को कहा

अवमानना मामला: न्यायालय ने अपमानजनक आरोपों के लिए वकील से माफी मांगने को कहा

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  • Publish Date - January 16, 2024 / 07:16 PM IST,
    Updated On - January 16, 2024 / 07:16 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक वकील को उन न्यायाधीशों से बिना शर्त उचित माफी मांगने का निर्देश दिया जिन पर उसने अपमानजनक आरोप लगाया था । शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उसकी माफी की प्रकृति से संतुष्ट नहीं है।

अधिवक्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय राजधानी में जिला अदालतों के कई न्यायाधीशों के खिलाफ ‘अपमानजनक, अनुचित और निराधार आरोप’ लगाने के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराए जाने के बाद छह महीने के जेल की सजा सुनाई गई थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को वकील को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और उसे छह महीने के जेल की सजा सुनाई थी और दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। आलत ने यह भी निर्देश दिया था कि वकील को हिरासत में लिया जाए और तिहाड़ जेल के अधीक्षक को सौंप दिया जाए।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता को उचित माफीनामा दाखिल करने का और मौका दिया।

पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने वकील द्वारा दाखिल किए गए माफीनामे को देखने के बाद कहा, ‘‘यह कोई माफीनामा नहीं है। यह एक मनगढ़ंत माफी है…. उन्हें उचित माफीनामा दाखिल करना होगा।’’

जैसे ही सुनवाई शुरू हुई वकील की ओर से पेश अधिवक्ता ने बिना शर्त हलफनामा रिकॉर्ड पर रखा और कहा कि उनके मुवक्किल ने मौखिक माफी भी मांगी है और वह पहले ही एक सप्ताह से जेल में हैं।

शीर्ष अदालत ने उन्हें माफी मांगने का एक और मौका दिया और मामले की सुनवाई 19 जनवरी को तय की।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि घृणित आरोप लगाने वाला वकील अदालत का एक अधिकारी था, इसलिए ऐसे कार्यों की “दृढ़ता से” जांच करना आवश्यक था।

वकील ने जुलाई 2022 में उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें कई न्यायाधीशों पर मनमाने ढंग से या पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया गया था। वकील में अपनी याचिका में न्यायाधीशों का नाम भी लिया था।

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन