अदालत ने सरकारी अधिकारियों के इलाज के लिये होटलों में कमरे आरक्षित करने के मामले में जवाब देने के लिए दिल्ली सरकार को दिया वक्त

अदालत ने सरकारी अधिकारियों के इलाज के लिये होटलों में कमरे आरक्षित करने के मामले में जवाब देने के लिए दिल्ली सरकार को दिया वक्त

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  • Publish Date - July 14, 2021 / 08:58 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न सरकारी अधिकारियों और उनके परिवारों के इलाज के लिए दो अस्पतालों से जुड़े चार होटलों में कमरे आरक्षित करने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिये बुधवार को दिल्ली सरकार को और वक्त दिया है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने याचिका पर जवाब देने के लिए दिल्ली सरकार के वकील के अनुरोध पर उसे चार और हफ्तों का वक्त दिया।

अदालत ने दिल्ली के डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा की याचिका पर दिल्ली सरकार को 10 मई को नोटिस जारी किया था।

दिल्ली सरकार की 27 अप्रैल की अधिसूचना के अनुसार, राजीव गांधी सुपर स्पेश्यिलिटी हॉस्पिटल से जुड़े विवेक विहार स्थित होटल जिंजर में 70 कमरे, शाहदरा में होटल पार्क प्लाजा में 50 कमरे और कड़कड़डूमा में सीबीडी ग्राउंड में होटल लीला एम्बियंस में 50 कमरे तथा दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) से जुड़े हरी नगर स्थित होटल गोल्डन ट्यूलिप में सभी कमरे दिल्ली सरकार, स्वायत्त संस्थाआं, निगमों, स्थानीय निकायों के अधिकारियों और उनके परिवार के इलाज के लिए आरक्षित रखे गए।

याचिका में दलील दी गयी कि खास वर्ग के लोगों में वर्गीकरण ‘‘मनमाना’’ और ‘‘अकल्पनीय’’ है और वह भी ऐसे वक्त में जब आम आदमी ऑक्सीजन बिस्तरों की तलाश में दर-दर भटक रहा था।

याचिका में दिल्ली सरकार की 27 अप्रैल की अधिसूचना के साथ ही पिछले साल के उसके तीन आदेशों को भी निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।इन आदेशों के अनुसान शुरू में ऐसे अधिकारियों और उनके परिजनों के उपचार के लिये दो अस्पताल और एक प्रयोगशाला विर्निदिष्ट की गयी थी। बाद में दो सरकारी अस्पतालों में चार अस्पतालों को जोड़ दिया गया था।

भाषा गोला अनूप

अनूप