चीनी वीजा घोटाला मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आरोप तय करने का अदालत का आदेश

चीनी वीजा घोटाला मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आरोप तय करने का अदालत का आदेश

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 09:20 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 09:20 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम और छह अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चीनी वीजा घोटाले के संबंध में आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप तय करने का मंगलवार को आदेश दिया। अदालत ने यह कहते हुए आदेश दिया कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

अदालत ने हालांकि, एक आरोपी चेतन श्रीवास्तव को यह कहते हुए आरोपमुक्त कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं।

सीबीआई ने अक्टूबर 2024 में, कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ 2011 में एक बिजली कंपनी, तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के लिए चीनी नागरिकों को वीजा की सुविधा प्रदान करने में कथित रिश्वतखोरी के संबंध में आरोप पत्र दायर किया था। उस समय कार्ति के पिता, पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।

सीबीआई ने एक विशेष अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोपपत्र में शिवगंगा लोकसभा सीट से सांसद कार्ति चिदंबरम, उनके कथित करीबी सहयोगी एस. भास्कररमन, वेदांता की सहायक कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) और मुंबई स्थित बेल टूल्स का नाम लिया है। बेल टूल्स के जरिए कथित तौर पर रिश्वत दी गई थी।

विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने 98 पृष्ठों के आदेश में इस बात पर जोर दिया कि आरोप तय करने के चरण में, एक ‘मिनी-ट्रायल’ की आवश्यकता नहीं और अदालत को केवल इस बात पर विचार करना होगा कि जांच एजेंसी द्वारा एकत्र की गई सामग्री क्या आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मजबूत संदेह या प्रथम दृष्टया मामला दर्शाती है।

अदालत ने कहा, ‘‘आरोप तय करने के इस चरण में, सरकारी गवाह के बयान को उसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाए बिना स्वीकार किया जाना चाहिए, क्योंकि उसकी पड़ताल मुकदमे के दौरान की जाएगी। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सामग्री को इस चरण में वैसे ही स्वीकार किया जाना चाहिए।’’

उसने कहा कि निस्संदेह, सरकारी गवाह के साक्ष्य का स्वरूप संदिग्ध प्रकृति का और बहुत कमजोर होता है, लेकिन यदि इसे पर्याप्त रूप से सहायक साक्ष्यों से पुष्ट किया जाए तो अदालत इसे मुख्य प्रमाण के रूप में स्वीकार कर सकती है और पड़ताल कर सकती है।

कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लगाए गए आरोपों का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि सरकारी गवाह टीएसपीएल के लिए 800 अतिरिक्त परियोजना वीजा प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके पास चेन्नई में गया था, यह मानते हुए कि उनके पिता के कारण उनके (कार्ति) गृह मंत्रालय में संपर्क हैं।

अदालत ने कहा कि सरकारी गवाह ने कथित तौर पर जून 2011 में कार्ति चिदंबरम और एस भास्कररमन से कार्ति के चेन्नई स्थित कार्यालय में वीजा संबंधी आवश्यकताओं पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की थी, जिसके बाद कार्ति चिदंबरम ने सरकारी गवाह को भास्कररमन के साथ आवश्यक विवरणों पर चर्चा करने को कहा था।

अदालत ने कहा कि आरोपों के अनुसार, भास्कररमन ने बाद में रिश्वत की मांग की और वह प्राप्त किया और 50 लाख रुपये की रिश्वत के भुगतान के बाद, सरकारी गवाह ने कार्ति चिदंबरम को धन्यवाद देने के लिए फोन भी किया, जिसके बाद उन्होंने इसकी पुष्टि की कि भुगतान प्राप्त हो गया है।

उसने कहा कि टीएसपीएल द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए अनुरोध पत्र की एक प्रति, सरकारी गवाह द्वारा प्रस्तुत वीजा पुन: उपयोग के अनुरोध पत्र वाला एक संलग्नक और वीजा के पुन: उपयोग के लिए गृह मंत्रालय का अनुमोदन पत्र चिदंबरम को कथित तौर पर ईमेल के माध्यम से प्राप्त हुआ था।

अदालत ने आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि ये ईमेल उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा भेजे या अग्रेषित किए गए थे।

अदालत ने कहा, ‘आरोपी 2 (कार्ति चिदंबरम) की चेन्नई में आरोपी 1 (भास्कररमन) की मौजूदगी में सरकारी गवाह से मुलाकात, सरकारी गवाह से अपनी आवश्यकता बताने के लिए कहना, जिसके बाद मांग और भुगतान तथा राशि की प्राप्ति के संबंध में टेलीफोन पर बातचीत और महत्वपूर्ण दस्तावेजों का आदान-प्रदान, इन तथ्यों को (सीबीआई द्वारा) एक सामान्य उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आपसी सहमति के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।’

अदालत ने कहा कि दोनों के बीच साजिश जाहिर है और कानून के तहत साजिशकर्ताओं के लिए प्रत्येक अन्य साजिशकर्ता से संपर्क करना अनिवार्य नहीं।

अदालत ने कहा कि वर्तमान चरण में चिदंबरम से धन की बरामदगी आवश्यक नहीं और ना ही कथित रिश्वत की राशि का पता लगाने की कोई आवश्यकता है।

अदालत ने कहा कि ‘‘बचाव पक्ष की दलील-जिसमें यह दावा भी शामिल है कि आरोपी संख्या 2 (कार्ति चिदंबरम) ने ई-मेल नहीं पढ़े, या यह कि चेन्नई में कथित मुलाकात या टेलीफोन कॉल के संबंध में कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है-उनके मामले में सहायक नहीं हैं, क्योंकि प्रबल संदेह सरकारी गवाह (एप्रूवर) के बयानों से समर्थनीय है और उनके विरुद्ध मामला केवल ई-मेल की पुष्टि पर ही आधारित नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों पर विचार सुनवायी के दौरान किया जाना होगा।

अदालत ने कहा, “सरकारी गवाह के बयान से यह स्पष्ट होता है कि आरोपी संख्या 2 ने सरकारी गवाह को आरोपी संख्या 1 के पास अपनी आवश्यकता और विवरण प्रकट करने के लिए उसका मार्गदर्शन किया और इसके पश्चात आरोपी संख्या 1 ने रिश्वत की मांग की तथा उसे प्राप्त किया। उपलब्ध सामग्री आरोपी संख्या 2 के विरुद्ध प्रबल संदेह स्थापित करती है; अतः उसे आरोपमुक्त किए जाने का उसका आवेदन अस्वीकार किया जाता है।”

अदालत ने यह भी कहा कि ‘प्रथम दृष्टया’ कार्ति चिदंबरम के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 और धारा 9 के अंतर्गत आरोप तय किए जाने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है।

अदालत ने भास्कररमन के विरुद्ध भी इसी प्रकार के आरोप तय करने का आदेश दिया तथा साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अंतर्गत आरोप तय करने का निर्देश दिया, जो कथित रूप से आपत्तिजनक साक्ष्य वाले ई-मेल मिटाने से संबंधित है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि टीएसपीएल, मैसर्स बेल टूल्स लिमिटेड, वायरल मेहता, अनुप अग्रवाल और मंसूर सिद्दीकी के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आरोप तय किए जाएं।

हालांकि, अदालत ने आठवें आरोपी चेतन श्रीवास्तव को यह कहते हुए आरोपमुक्त कर दिया कि उसके षड्यंत्र में शामिल होने का कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।

अदालत ने बचाव पक्ष के इस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें गंभीर संदेह के अभाव का दावा किया गया था और कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें सामग्री मात्र संदेह को दर्शाती हो; बल्कि यह षड्यंत्र और अपराध के घटित होने के संबंध में गंभीर संदेह को दर्शाती है।”

सीबीआई ने 2022 में दर्ज अपनी प्राथमिकी में दो साल की जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि पंजाब स्थित टीएसपीएल 1980 मेगावाट का ताप विद्युत संयंत्र स्थापित कर रही थी और यह काम चीनी कंपनी ‘शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प’ (एसईपीसीओ) को सौंपा गया था।

परियोजना के काम में निर्धारित समय से विलंब हो रहा था और कंपनी पर कथित तौर पर जुर्माना लगने की आशंका थी।

भाषा

अमित पवनेश

पवनेश