भ्रष्टाचार के आरोपी को अंतरिम जमानत के पात्र लोगों की श्रेणी से अलग रखने के खिलाफ अदालत में याचिका

भ्रष्टाचार के आरोपी को अंतरिम जमानत के पात्र लोगों की श्रेणी से अलग रखने के खिलाफ अदालत में याचिका

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  • Publish Date - May 19, 2021 / 10:36 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल कर पूछा गया है कि जेलों में कोविड-19 फैलने से रोकने के लिए कैदियों की संख्या कम करने के लिहाज से एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) द्वारा तय मानदंडों के अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपियों को अंतरिम जमानत के पात्र लोगों की श्रेणी से अलग क्यों रखा गया है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार और एचपीसी को नोटिस जारी कर उनसे इस पर जवाब मांगा है। अन्नाद्रमुक नेता टीटीवी दिनाकरन और अन्य से जुड़े कथित चुनाव आयोग रिश्वतखोरी मामले में 2017 में गिरफ्तार किये गये सुकेश चंद्रशेखर ने यह याचिका दाखिल की थी।

चंद्रशेखर की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मुकदमे का सामना कर रहे विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत के पात्र लोगों की श्रेणियों से अलग करना ‘एकपक्षीय और अतर्कसंगत’ है।

इन अन्य श्रेणियों में मादक पदार्थों के मामले में या पॉक्सो कानून के तहत बंद विचाराधीन कैदी, आईपीसी के तहत यौन अपराधों के आरोपी कैदी, तेजाब हमलों और धन शोधन के मामलों के आरोपी शामिल हैं जिन्हें दोषी करार दिये जाने पर सात साल से अधिक कैद की सजा सुनाई जा सकती है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन उच्चतम न्यायालय ने जेलों में कोविड-19 फैलने से रोकने के लिए कैदियों की संख्या कम करने के लिहाज से किया था।

अधिवक्ता मयंक त्रिपाठी के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि समिति के मानदंडों के अनुसार हत्या और हत्या के प्रयास के मामलों में बंद विचाराधीन कैदी अंतरिम जमानत के लिए पात्र हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी कैदी इसके पात्र नहीं हैं। अत: समिति का फैसला कोई समानता या तर्कसंगत वर्गीकरण नहीं दर्शाता।

पुलिस ने 2017 में चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया था।

भाषा वैभव अनूप

अनूप

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