चेन्नई, 30 नवंबर (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने पुडुचेरी सरकार को स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पिछड़ी जातियों (बीसी) को आरक्षण प्रदान करने के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक आयोग का गठन करने का मंगलवार को सुझाव दिया।
केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.एन.भंडारी ने कहा कि स्थानीय निकायों में आरक्षण प्रदान करने के लिए समाज में विभिन्न श्रेणियों के लोगों के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के वास्ते कोई अलग पैमाना नहीं हो सकता है। राजनीतिक आरक्षण शब्द कहीं नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास एससी/एसटी के लिए एक और बीसी (पिछड़ा वर्ग) के लिये दूसरा मानदंड नहीं हो सकता। राजनीतिक आरक्षण एक अज्ञात कारक है। कोई व्यक्ति राजनीतिक रूप से पिछड़ा नहीं हो सकता है।’’
पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान करने के मुद्दे को हल करने के लिए एक रास्ता निकालने के वास्ते, उन्होंने पिछड़ेपन को निर्धारित करने के संबंध में एक आयोग स्थापित करने का सुझाव दिया।
स्थानीय सरकार को एक आयोग का गठन करना है, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक पिछड़ेपन के लिए मानदंड निर्धारित करना है, और मानदंडों के आधार पर, उन्हें स्थानीय निकाय के अनुसार पहचाना जाना चाहिए और डेटा एकत्र किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति भंडारी ने कहा कि यह काम रातोंरात नहीं किया जा सकता है और ऐसा किए बिना चुनाव नहीं हो सकता।
पुडुचेरी के राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के वकील ने कहा कि बीसी के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण प्रदान करना संवैधानिक शासनादेश नहीं है।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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