अदालत ने गैंगस्टर कानून के दुरुपयोग के मामले में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी, पुलिस प्रमुख को तलब किया

अदालत ने गैंगस्टर कानून के दुरुपयोग के मामले में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी, पुलिस प्रमुख को तलब किया

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  • Publish Date - June 24, 2025 / 09:40 PM IST,
    Updated On - June 24, 2025 / 09:40 PM IST

प्रयागराज, 24 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर कानून के दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और थाना प्रभारी को अदालत में उपस्थित होकर अपने ‘दुराचरण और लापरवाही’ पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने एक व्यक्ति को कथित तौर पर जेल के भीतर रखने के लिए उसके खिलाफ बार-बार और मनमाने ढंग से गैंगस्टर कानून लागू करने को गंभीरता से लेते हुए ये निर्देश दिया।

अदालत ने मुजफ्फरनगर जिले के मनशाद उर्फ सोना के खिलाफ गैंगस्टर कानून की धारा 2/3 के तहत दर्ज मामले के संबंध में उसे जमानत भी दे दी।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, ‘‘पुराने मामलों के आधार पर उसके खिलाफ गैंगस्टर कानून लगाया गया, जबकि पहले भी उस पर यह कानून लगाया जा चुका है। आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया गया।’’

इस पर अदालत ने कहा, ‘‘थाना प्रभारी का आचरण इस कानून का साफ दुरुपयोग दर्शाता है। एसएसपी और डीएम ने भी कार्रवाई की मंजूरी देने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।’’

अदालत ने कहा कि इस तरह से गैंगस्टर कानून का बार-बार उपयोग न्यायिक निर्देशों और उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में राज्य द्वारा हाल में जारी दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन है।

उच्चतम न्यायालय ने हाल में गैंगस्टर कानून के मनमाने ढंग से लागू किए जाने पर गंभीर चिंता जताई थी। वास्तव में, 2024 में उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को गैंगस्टर कानून को लेकर विशेष मानक पर विचार करने को कहा था।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में राज्य सरकार ने दो दिसंबर 2024 को एक विस्तृत जांच सूची जारी की थी जिसके बाद में उच्चतम न्यायालय ने शुआट्स विश्वविद्यालय के निदेशक विनोद बिहारी लाल के मामले में इसे लागू किया।

अदालत ने 20 जून को दिए अपने निर्णय में अधिकारियों को इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने का भी आदेश दिया था।

भाषा राजेंद्र खारी

खारी