सीओपी 27 में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला नुकसान चर्चा का प्रमुख विषय होगा : यादव

सीओपी 27 में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला नुकसान चर्चा का प्रमुख विषय होगा : यादव

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  • Publish Date - September 20, 2022 / 05:23 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी संस्था (यूएनएफसीसीसी) के नवंबर में मिस्र में होने 27वें सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला नुकसान चर्चा का प्रमुख विषय होगा।

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु संकट का सबसे अधिक प्रभाव उन देशों पर पड़ा है, जिनकी ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के मामले में कोई भूमिका नहीं हैं।

उन्होंने कहा,‘‘ इस साल नवंबर में मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित होने वाले सीओपी27 में नुकसान व क्षति (जलवायु परिवर्तन से) चर्चा का एक प्रमुख विषय होगा। ’’

जलवायु परिवर्तन के जिन सामाजिक व वित्तीय प्रभावों से बचा नहीं जा सकता है, उन्हें ‘‘नुकसान व क्षति’’ कहा जाता है।

यादव ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जिन्होंने पेरिस समझौते में तय लक्ष्य हासिल किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने तय समय से नौ वर्ष पहले अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है।’’

भारत ने 2030 तक अपनी बिजली क्षमता को 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था, जिसे उसने नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया।

मंत्री ने कहा कि ग्लासगो में सीओपी26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए संकल्पों को ध्यान में रखते हुए भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्य को बदला है।

नए लक्ष्यों के अनुसार, भारत ने अब 2030 तक अपनी बिजली क्षमता को 45 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।

यादव ने कहा कि भारत ने अपने लक्ष्य इसलिए बदले हैं क्योंकि वह समस्या का नहीं बल्कि समाधान का हिस्सा बनना चाहता है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में विकसित देशों का 60 प्रतिशत योगदान है। विकसित देशों में दुनिया की कुल 17 प्रतिशत आबादी रहती है।

यादव ने कहा, ‘‘ वहीं, केवल भारत में ही दुनिया की कुल 17 प्रतिशत आबादी बसती है, लेकिन उसका वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में केवल चार प्रतिशत योगदान है। ऐसा हमारी सतत दिनचर्या की वजह से है।’’

भाषा निहारिका नरेश

नरेश