हिरासत में मौत: निर्देश का पालन न किये जाने पर नाराज न्यायालय ने अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी
हिरासत में मौत: निर्देश का पालन न किये जाने पर नाराज न्यायालय ने अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि वह उसके निर्देशों का पालन करे, अन्यथा अदालत को पता है कि चीजों का पालन कैसे कराया जाता है। यह चेतावनी हिरासत में मौत के मामले से जुड़ी है, जिसमें आरोप लगने के बाद दो पुलिसकर्मी फरार हो गये थे।
शीर्ष अदालत ने अनुपालन में “कोई प्रगति नहीं होने” पर कहा कि वह संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय कर सकती है।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की एक पीठ ने कहा, “हम बस इतना कह रहे हैं कि देश की शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करें। वरना, हमें पता है कि पालन कैसे करवाना है। अगर पालन नहीं हुआ, तो अवमानना याचिका के तहत कार्रवाई होगी। हम आरोप तय करेंगे और न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।”
शीर्ष अदालत 24 वर्षीय पीड़ित की मां की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें न्यायालय के 15 मई के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया है।
इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने कथित हिरासत में हुई मौत में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और जांच सीबीआई को सौंप दी।
शुक्रवार को निवर्तमान जांच अधिकारी ने कहा कि उन्होंने 30 जून को मामले की जांच संभाली थी और दो जुलाई को उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया था, जो प्रत्यक्षदर्शी के खुलासे के मुताबिक कथित तौर पर हिरासत में यातना देने में शामिल था।
उन्होंने कहा कि उनके पास एक चश्मदीद गवाह है, जो जेल में बंद है।
उन्होंने कहा, “समस्या यह है कि मामला हाथ में लेने से पहले ही चार एजेंसियों ने उनका बयान दर्ज कर लिया था। इन सभी बयानों में उन्होंने विरोधाभासी जानकारी दी हैं।”
पीठ ने उन्हें याद दिलाया कि वह उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन को लेकर चिंतित है।
पीठ ने पूछा, “हिरासत में मौत के लिए कौन जिम्मेदार है, उन लोगों को गिरफ्तार करें, आप उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रहे हैं?”
जब जांच अधिकारी ने कहा कि उन्होंने मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, तो पीठ ने कहा, “यह पर्याप्त नहीं है”।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एक अवसर दे रही है और अवमानना के आरोप तय करने में कोई जल्दबाजी नहीं कर रही है।
पीठ ने कहा कि अनुपालन की स्थिति में याचिकाकर्ता वकील इसका उल्लेख कर सकते हैं, ताकि मामले को 8 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जा सके।
पीठ ने 25 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए दो फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए मध्य प्रदेश सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी।
भाषा
प्रशांत दिलीप
दिलीप

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