Telangana Death Sentence News: 7 महीने की बेटी की बलि चढ़ाने वाली माँ को फांसी की सजा.. इस समस्या से छुटकारा पाने तांत्रिक ने दी थी सलाह

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध बेहद क्रूर और अमानवीय था। मासूम बच्ची की आस्था के नाम पर हत्या किसी भी सूरत में माफ नहीं की जा सकती। इसलिए यह मामला फांसी की सजा के योग्य है।

  •  
  • Publish Date - April 13, 2025 / 01:23 PM IST,
    Updated On - April 13, 2025 / 01:23 PM IST

Death sentence to a mother in Suryapet || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • महिला ने काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए बेटी की हत्या की।
  • महिला को मासूम बच्ची की हत्या के लिए 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' में मौत सजा।
  • तांत्रिक और यूट्यूब वीडियो की सलाह पर महिला ने बेटी की बलि दी।

Death sentence to a mother in Suryapet: हैदराबाद : तेलंगाना के सूर्यपेट में एक लोकल अदालत ने 32 साल की महिला बी. भारती उर्फ लासया को अपनी सात महीने की बेटी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है। मामला वर्ष 2021 का है, जब महिला ने ‘काल सर्प दोष’ से मुक्ति पाने के लिए अपनी मासूम बच्ची की बलि दे दी थी।

Read More: SRH vs PBKS Highlights: अभिषेक के तूफान में उड़ा पंजाब, 39 गेंदों में बना दिया शतक, सनराइजर्स हैदराबाद ने दर्ज की दूसरी सबसे बड़ी जीत

अदालत ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ (दुर्लभ से दुर्लभतम) मानते हुए शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। कोडड के डीएसपी श्रीधर रेड्डी के मुताबिक, कोर्ट ने सभी सबूतों को देखते हुए महिला को दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई।

यूट्यूब और तांत्रिक की सलाह पर की गई थी वारदात

Death sentence to a mother in Suryapet: जांच के दौरान सामने आया कि महिला ने यूट्यूब पर काल सर्प दोष से जुड़े वीडियो देखे थे और इसके बाद एक तांत्रिक से भी संपर्क साधा था। इसके बाद उसने अपनी ही बेटी की बलि देने का खौफनाक कदम उठाया। जानकारी के मुताबिक यह पहला मामला नहीं है जब महिला ने हिंसक हरकत की हो। दो साल पहले उसने अपने पति पर भारी पत्थर से हमला किया था, जिसमें वह घायल हो गया था। उस मामले में भी महिला को सजा मिल चुकी है, और वह फिलहाल जेल में ही बंद है।

Read Also: Violence against New Waqf Act: वक़्फ़ कानून के विरोध में हिंसा, 3 लोगों की मौत.. घर से बरामद बाप-बेटे की लाश, 10 पुलिसकर्मी घायल

अदालत ने कहा- अपराध बेहद अमानवीय

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध बेहद क्रूर और अमानवीय था। मासूम बच्ची की आस्था के नाम पर हत्या किसी भी सूरत में माफ नहीं की जा सकती। इसलिए यह मामला फांसी की सजा के योग्य है।