नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी की दहेज हत्या के आरोप से बरी कर दिया है। अदालत ने कहा है कि स्पष्ट सबूत के बिना “अस्पष्ट और सामान्य” आरोप किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ट्विंकल वाधवा ने मोनिश उर्फ नूर मोहम्मद के खिलाफ भजनपुरा थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 बी (दहेज हत्या) और 498 ए (शादीशुदा महिला के प्रति क्रूरता) के तहत दर्ज मामले पर सुनवाई के दौरान यह फैसला पारित किया।
न्यायाधीश ने कहा, “किसी आरोपी को दोषी करार देने के लिए आरोप स्पष्ट और विस्तृत होने चाहिए। अस्पष्ट या सामान्य आरोप में किसी अपराध के कारकों को स्थापित करने के लिए आवश्यक सामग्री का अभाव होता है। स्पष्ट साक्ष्य के बिना अस्पष्ट और सामान्य आरोप किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं होते।”
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दहेज की मांग को लेकर पति की ओर से प्रताड़ित किए जाने के कारण महिला ने पिछले साल नौ मई को खुदकुशी कर ली थी।
अदालत ने 31 जनवरी को पारित आदेश में कहा कि मृतका के माता-पिता और चाचा आरोपी के खिलाफ उत्पीड़न और क्रूरता संबंधी अपने बयान से मुकर गए।
आरोपी के घर से झगड़े की आवाज सुनाई देने के दो पड़ोसियों के बयान पर अदालत ने कहा कि दोनों इसका कारण नहीं बता सके।
उसने कहा, “जब गवाह अपने बयान से मुकर जाते हैं, तो प्राथमिक साक्ष्य कमजोर या निरर्थक हो जाते हैं। मजबूत प्रत्यक्ष साक्ष्य के बिना सबूतों को पुष्ट करना, उचित संदेह से परे सबूत की कानूनी सीमा पर खरा नहीं उतरता।”
भाषा पारुल माधव
माधव
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)