दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरी किए जाने के 16 साल बाद दो लोगों को दोषी ठहराया

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरी किए जाने के 16 साल बाद दो लोगों को दोषी ठहराया

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  • Publish Date - August 26, 2024 / 05:40 PM IST,
    Updated On - August 26, 2024 / 05:40 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के सिर पर जानबूझकर हमला करने के मामले में दो लोगों को 16 साल पहले बरी करने के दिए गए फैसले को पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि सुनवाई अदालत ने घायल व्यक्ति की गवाही पर विश्वास न करने तथा यह टिप्पणी करने की त्रुटि की है कि यह अभियोजन पक्ष के अन्य गवाह के बयान से मेल नहीं खाती है।

उच्च न्यायालय ने इसी के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा-308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के आरोपों में तहत आरोपी मोहित कुमार और संदीप कुमार को अक्टूबर 2008 में सुनवाई अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को पलट दिया।

अभियोजन पक्ष ने सुनवाई अदालत द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि गवाहों के बयानों से घटना के बारे में कोई संदेह नहीं है।

सुनवाई अदालत द्वारा दोनों आरोपियों को बरी करने के फैसले को पलटते हुए न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा, ‘‘निष्कर्ष यह है कि शिकायतकर्ता की लगातार गवाही से यह साबित होता है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता पर हमला करने के लिए तेज धार वाले हथियार का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके सिर पर गहरा घाव हो गया, जिसके लिए 21 टांके लगाने पड़े, हालांकि इसे साधारण माना गया तथा स्वतंत्र परिस्थितियों से भी घटना की पुष्टि होती है।’’

न्यायमूर्ति कृष्णा ने फैसले में कहा, ‘‘यदि कोई व्यक्ति किसी पीड़ित के सिर पर धारदार हथियार से प्रहार करता है तो वह ऐसा यह जानते हुए और इस इरादे से करता है कि पीड़ित के सिर पर इस तरह के हमले या चोट के परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो सकती है।’’

अभियोजन पक्ष के मुताबिक 2006 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी कि दोनों आरोपी शिकायतकर्ता मनिंदर गौतम के पास गए, उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे धमकाया तथा फिर एक नुकीली वस्तु से उस पर हमला किया जिससे उसके सिर पर गंभीर चोट आई।

उच्च न्यायालय ने सजा पर बहस करने के लिए 30 अगस्त की तारीख तय की है।

भाषा धीरज माधव

माधव