परिसीमन आयोग ने श्रीनगर में लोगों, नागरिक संस्थाओं से मुलाकात की

परिसीमन आयोग ने श्रीनगर में लोगों, नागरिक संस्थाओं से मुलाकात की

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  • Publish Date - April 5, 2022 / 08:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

श्रीनगर, पांच अप्रैल (भाषा) जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर आए परिसीमन आयोग ने मसौदा प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्तियां प्राप्त करने को लेकर मंगलवार को यहां लोगों और नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की।

कई राजनीतिक दलों और पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों सहित कई व्यक्तियों और समूहों ने आयोग से मुलाकात की, जिसे जम्मू कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने का काम सौंपा गया है।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में आयोग ने सोमवार को जम्मू क्षेत्र के सभी जिलों के लोगों, नागरिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों के साथ बैठक की।

आयोग ने दो बैठकों में प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। पहली बैठक दिन में 10 बजे से 12 बजे तक आयोजित की गई जिसमें श्रीनगर, बडगाम, अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां के लोगों ने आयोग से मुलाकात की। दूसरी बैठक 12 बजे से दोपहर दो बजे तक हुई, जिसमें गांदेरबल, बांदीपुरा, कुपवाड़ा और बारामूला के लोगों ने भाग लिया।

आयोग से मुलाकात करने वाले ‘अपनी पार्टी’ के प्रदेश सचिव, मुंतजिर मोहिउद्दीन ने कहा कि आयोग के मसौदा प्रस्ताव ने कई क्षेत्रों में लोगों के लिए असुविधा पैदा की है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ क्षेत्रों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों से काटकर दूसरों के साथ जोड़ दिया गया है, जिससे लोगों के लिए समस्याएं खड़ी हो गई हैं। हम पहले ही संबंधित जिलों के उपायुक्तों के माध्यम से परिसीमन आयोग के साथ-साथ निर्वाचन आयोग को आवेदन दे चुके हैं।’’

मोहिउद्दीन ने कहा, ‘‘हमने कई क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश के दूर-दराज के निर्वाचन क्षेत्रों के साथ जोड़ने का मुद्दा उठाया है। हम चाहते हैं कि उन पर फिर से विचार किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी ने श्रीनगर में एक विधानसभा क्षेत्र में वृद्धि की भी मांग की है क्योंकि शहर की आबादी बहुत अधिक है।

बडगाम की एक नागरिक संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि उन्हें अपने मुद्दे पर आयोग से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हालांकि, कई लोगों ने कहा कि चर्चा के लिए आमंत्रित किए जाने के बावजूद उन्हें कार्यक्रम स्थल के अंदर नहीं जाने दिया गया।

आयोग की स्थापना छह मार्च 2020 को एक वर्ष के कार्यकाल के साथ की गई थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इसका कार्यकाल छह मार्च 2021 को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था। आयोग ने 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी और लोगों से आपत्तियां और सुझाव मांगे।

भाषा आशीष नरेश

नरेश