Demand For SIR Ban, image source: ibc24
दिल्ली: Demand for SIR ban in parliament, कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विपक्षी नेताओं ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज संसद परिसर में एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग से तुरंत एसआईआर रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
#WATCH | Delhi | Opposition leaders, including Congress MP Sonia Gandhi, LoP Lok Sabha Rahul Gandhi and LoP Rajya Sabha, Mallikarjun Kharge, hold a protest against SIR in Parliament premises, on the second day of the winter session pic.twitter.com/wJDWl8tk5t
— ANI (@ANI) December 2, 2025
इसके पहले बीते दिन कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोमवार को लोकसभा में एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की गई। टैगोर ने इसे ‘अभूतपूर्व संकट’ से जोड़ते हुए गंभीर सवाल उठाए।
Demand For SIR Ban, अपने नोटिस में टैगोर ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा लागू की गई यह प्रक्रिया एकतरफा, तानाशाही और बिना किसी तैयारी के शुरू कर दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने न तो शिक्षकों से कोई चर्चा की, न राज्यों के साथ समन्वय किया और न ही जनता की परेशानियों का ध्यान रखा।
टैगोर ने अपने प्रस्ताव में कहा कि यह एसआईआर प्रक्रिया एक एकाधिकारवादी, अचानक लागू की गई और अत्यधिक दबाव वाली कवायद बन चुकी है। टैगोर ने इसे ‘संस्थागत क्रूरता’ करार दिया। उन्होंने कहा कि न तो आत्महत्याओं की निगरानी की कोई व्यवस्था है, न मानसिक स्वास्थ्य सहायता, न मुआवजा प्रावधान और न किसी प्रकार का आपातकालीन प्रोटोकॉल।
उन्होंने कहा कि आम जनता भी इस प्रक्रिया की वजह से भ्रम, घबराहट, बार-बार होने वाले सत्यापन और अविश्वास की स्थिति से गुजर रही है। कांग्रेस सांसद ने कहा, “जब मतदाता सूची तैयार करने वाले कर्मचारी ही भारी दबाव में गिरने लगें, तो लोकतंत्र की विश्वसनीयता भी गिर जाती है।”
सांसद ने कहा कि बीएलओ शिक्षक दिन-रात काम करने को मजबूर हैं। वे कक्षा और चुनावी कार्य के बीच फंसे हुए हैं। कई लोग थकावट के कारण गिर पड़े, कुछ की मौत हो गई और कुछ ने आत्महत्या तक कर ली। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने अब तक कोई जांच नहीं कराई है और न ही राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के हिसाब से बीएलओ की मौतों के आंकड़े जारी किए हैं।