कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल : गुलेरिया

कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल : गुलेरिया

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  • Publish Date - February 21, 2021 / 01:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रविवार को दावा किया कि कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) को हासिल करना ‘‘काफी कठिन’’ है। साथ ही, भारत में ‘‘व्यावहारिक संदर्भ में’’ इस बारे में नहीं सोचना चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के ‘‘अलग-अलग स्वरूप’’ सामने आ रहे हैं और प्रतिरोधक क्षमता घट रही है।

गुलेरिया जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में अपनी पुस्तक ‘‘टील वी विन : इंडियाज फाइट अगेंस्ट द कोविड-19 पैनडेमिक’’ पुस्तक पर आयोजित एक सत्र में बोल रहे थे, जिसके सह लेखक लोक नीति एवं स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया और प्रख्यात टीका अनुसंधानकर्ता एवं विषाणु रोग विशेषज्ञ गगनदीप कंग हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के निदेशक ने कहा, ‘‘सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करना बहुत कठिन होने जा रहा है और यह ऐसा है जिसके बारे में व्यावहारिक संदर्भ में नहीं सोचना चाहिए…क्योंकि वायरस के अलग-अलग स्वरूप और समय के साथ प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसमें लोग फिर से संक्रमित हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘और यह भी याद रखना चाहिए कि ज्यादा संख्या में लोगों को मामूली संक्रमण है और हम नहीं जानते कि मामूली संक्रमण वाले लोगों में कम रोग प्रतिरोधक क्षमता बनती है, उनकी प्रतिरोधक क्षमता एक समय के बाद कमजोर हो जाती है।’’

विशेषज्ञ कहते हैं कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता आबादी के एक हिस्से में तभी बनती है, जब कम से कम उनमें से 50 से 60 फीसदी लोगों में सीरो सर्वेक्षण में एंटीबॉडी पाए जाएं।

सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता के तहत, वायरस से संक्रमित होने के बाद लोगों के किसी समूह में से कई में इसकी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

भाषा नीरज नीरज सुभाष

सुभाष