(अनन्या सेनगुप्ता)
नयी दिल्ली,14 फरवरी (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रविवार को आरोप लगाया कि शुक्रवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले दिनेश त्रिवेदी ने सदन का ‘इस्तेमाल’ किया और उन्हें उनके ‘कुटिल’ राजनीतिक उद्देश्य के लिए सदन का दुरुपयोग करने दिया गया।
त्रिवेदी के इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने उनकी आलोचना की और उन्हें ‘‘ कृतघ्न’’ करार दिया वहीं भाजपा ने कहा कि भगवा दल में शामिल होने पर उनका स्वागत किया जाएगा।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में नेताओं के ममता बनर्जी की पार्टी छोड़ने की बीच त्रिवेदी ने इस्तीफा दिया है।
त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में तीन अप्रैल 2020 को उच्च सदन के सदस्य बने थे और उनका वर्तमान कार्यकाल दो अप्रैल 2026 तक है। संप्रग शासनकाल में त्रिवेदी रेलमंत्री थे और उन्होंने 2012 में रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। वह दो बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने सभापति को पत्र लिख कर कहा कि पार्टी ने केन्द्रीय बजट 2021-22 पर चर्चा के लिए वक्ताओं के तौर पर केवल दो नामों की अनुशंसा की थी और त्रिवेदी उनमें शामिल नहीं थे।
उन्होंने कहा कि तृणमूल पार्टी को दिया गया वक्त दो वक्ताओं के निर्धारित दिन बोलने के बाद समाप्त हो गया था,इसके बावजूद त्रिवेदी को बोलने क्यों दिया गया।
राय ने कहा,‘‘ 12 फरवरी 2021 को अपराह्न करीब एक बजकर 25 मिनट पर जब वित्त मंत्री बजट चर्चा पर जवाब देने जा रही थीं, उस वक्त तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य दिनेश त्रिवेदी को अपराह्न एक बजकर 25 मिनट से करीब चार मिनट तक बोलने की अनुमति दी गई, जबकि एआईटीसी ने बजट पर चर्चा के लिए उनका नाम वक्ता के तौर पर पेश नहीं किया था और पार्टी का वक्त भी समाप्त हो गया था।’’
राय के पत्र की प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध है।
इस्तीफा देते वक्त त्रिवेदी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा और कुछ नहीं कर पाने से उन्हें ‘‘घुटन ’’ महसूस हो रही है।
राय ने कहा कि त्रिवेदी की सीट राज्यसभा की दीर्घा में आवंटित है लेकिन वह नीचे परिषद चेंबर के अंदर आए और “अपनी पसंद की सीट से” असंबद्ध विषय पर बोलना शुरू कर दिया।
राय ने आरोप लगाया ,‘‘ बजट पर चर्चा के दौरान इस प्रकार के अनधिकृत हस्तक्षेप को रोकने के लिए आसन ने कोई कार्रवाई नहीं की, उन्होंने उसी पार्टी के खिलाफ बोला जिसमें वह थे
और सदन में अपने प्रस्तावित इस्तीफे को सही साबित करने के लिए उन्होंने एआईटीसी के खिलाफ बेबुनियादी आरोप लगाए।’’
पत्र में कहा गया, ‘‘ घटना के उपरोक्त विवरण और जिस प्रकार से त्रिवेदी ने अपने ‘कुटिल’ राजनीतिक उद्देश्य के लिए सदन का दुरुपयोग किया और जिस तरह से उन्हें सदन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई वह न केवल अप्रत्याशित और ‘राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान शिष्टाचार के खिलाफ था बल्कि इस सम्मानित सदन के सभी नियमों, कायदों और परंपरा के भी खिलाफ था।’’
राय ने पत्र में लिखा यह बेहद चिंता की बात है कि नियम तोड़ने वाले सदस्यों को रोकने के लिए नियम के तहत पर्याप्त तंत्र होने के बावजूद उसका इस्तेमाल नहीं किया गया।
राय ने कहा,‘‘ मैं आपसे मामले की तत्काल जांच कराने और इस अप्रत्याशित घटना के पीछे के कारणों का पता लगाने की मांग करता हूं…..।’’
यह पहली बार नहीं है जब त्रिवेदी ने पार्टी से अपनी नाराजगी की बात खुलेआम की है। मार्च 2012 में उन्हें रेल मंत्री के पद से तब इस्तीफा देना पड़ा था जब पार्टी नेता ममता बनर्जी ने उनके रेलवे बजट का विरोध किया था।
भाषा
शोभना प्रशांत
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