व्यवधान संसद सदस्यों की गरिमा के अनुरूप नहीं : राज्यसभा के सभापति राधाकृष्णन

व्यवधान संसद सदस्यों की गरिमा के अनुरूप नहीं : राज्यसभा के सभापति राधाकृष्णन

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  • Publish Date - December 19, 2025 / 01:07 PM IST,
    Updated On - December 19, 2025 / 01:07 PM IST

( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक (जी राम जी) के पारित होने के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए आचरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शुक्रवार को कहा कि “व्यवधान संसद सदस्यों की गरिमा के अनुरूप नहीं” है। साथ ही सभापति ने उनसे आत्ममंथन करने तथा भविष्य में ऐसे आचरण से बचने का आग्रह किया।

राधाकृष्णन ने शीतकालीन सत्र की 15 दिवसीय बैठकों के दौरान संपन्न विधायी एवं अन्य कार्यों का संक्षिप्त ब्यौरा देने के बाद उच्च सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।

संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर को शुरू हुआ था और इस दौरान उच्च सदन की कुल 15 बैठकें हुईं।

सभापति ने कहा, “कल की बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा नारेबाजी करने, तख्तियां दिखाने, मंत्री के जवाब में बाधा डालने, कागज फाड़ने और उन्हें आसन के समक्ष फेंकने से जो व्यवधान पैदा हुआ, वह संसद सदस्यों की गरिमा के अनुरूप नहीं था। मैं उम्मीद करता हूं कि सदस्य आत्ममंथन करेंगे और भविष्य में ऐसे आचरण को नहीं दोहराएंगे।”

राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को आधी रात के बाद, 12 बज कर 35 मिनट तक बैठक कर 20 साल पुरानी ग्रामीण रोजगार योजना ‘‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’’ (मनरेगा) को प्रतिस्थापित करने वाला विधेयक पारित किया, जिसके तहत अकुशल श्रम के लिए प्रति परिवार गारंटी वाले कार्यदिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है।

विपक्षी सांसदों ने नए विधेयक़…‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ से राष्ट्रपिता का नाम हटाए जाने का विरोध किया।

सभापति ने कहा कि इसके अलावा, उच्च सदन का 269वां सत्र “अत्यंत उत्पादक” रहा और लगभग 92 घंटे की बैठकों के साथ 121 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की गई।

राधाकृष्णन ने कहा कि यह शीतकालीन सत्र उनके पदभार ग्रहण करने के बाद उनके द्वारा सदन की अध्यक्षता करने का पहला अवसर था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सदन के नेता जे. पी. नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, “जब मैंने इस गरिमामय सदन के सभापति के रूप में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभानी शुरू की तब आपकी शुभकामनाओं में निहित स्नेह और अपनापन मेरे लिए प्रोत्साहन का बड़ा स्रोत रहा।”

सभापति ने कहा कि अपने पहले संबोधन में उन्होंने सदन के सुचारु संचालन के लिए सदस्यों से सहयोग मांगा था और उन्हें खुशी है कि सदस्यों ने इस शीतकालीन सत्र में महत्वपूर्ण मात्रा में कार्य संपन्न कराने में सहयोग दिया।

उन्होंने बताया कि सदन ने कार्य निपटाने के लिए पांच दिनों में बैठक अवधि बढ़ाने या दोपहर के भोजनावकाश को छोड़ने पर सहमति दी।

राधाकृष्णन ने कहा कि सत्र के दौरान शून्यकाल के विषयों में काफी वृद्धि दर्ज की गई और इसके तहत प्रतिदिन औसतन 84 से अधिक नोटिस मिले जो पिछले दो सत्रों की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन उठाए गए मामलों की औसत संख्या 15 से अधिक रही, जो लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

चर्चा और बहस की गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए सभापति ने बताया कि सदन में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना की 150वीं वर्षगांठ पर दो दिवसीय विशेष चर्चा हुई, जिसमें 82 सदस्यों ने भाग लिया। चुनाव सुधारों पर तीन दिवसीय चर्चा में 57 सदस्यों ने अपनी बात रखी।

उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान राज्यसभा ने आठ विधेयक पारित किए या लौटाए और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 पर एक वैधानिक प्रस्ताव को 212 सदस्यों की भागीदारी के साथ अपनाया गया।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा गैर सरकारी कामकाज के तहत 59 निजी विधेयक प्रस्तुत किए गए। सभापति ने इसे “संसदीय लोकतंत्र की जीवंतता” बताया।

सभापति ने सत्र के दौरान 58 तारांकित प्रश्नों, शून्यकाल के 208 ब्यौरों और 87 विशेष उल्लेखों का भी जिक्र किया तथा नियम 267 के दायरे को स्पष्ट करते हुए एक विस्तृत आदेश जारी किए जाने की जानकारी दी।

अंत में राधाकृष्णन ने उपसभापति हरिवंश, पीठासीन अध्यक्ष के पैनल के सदस्यों, राज्यसभा सचिवालय और मीडिया को कार्यवाही के सुचारु संचालन में योगदान देने के लिए धन्यवाद दिया।

भाषा मनीषा माधव

माधव