Donald Trump Spread Fake News: डोनाल्ड ट्रंप झूठ बोलकर भारत पर बनाना चाहते हैं दबाव? Image Source: IBC24 Customized
नई दिल्ली: Donald Trump Spread Fake News on India अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अटैक के बाद अब एक नामी मीडिया संस्थान ने दावा किया था कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। वहीं, ट्रंप ने भी आज दावा करते हुए कहा कि ”भारत अब रूस से तेल खरीदना बंद कर सकता है और इसे “एक अच्छा कदम” बताया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार ऊर्जा नीति तय करने के संप्रभु अधिकार की बात दोहराई।” लेकिन अब खबर आ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति और मीडिया रिपोर्ट के दावे पूरी तरह अफवाह है।
Donald Trump Spread Fake News on India समाचार एजेंसी ANI से मिली जानकारी के अनुसार भारत के सरकारी तेल रिफाइनर जैसे IOC, BPCL, HPCL सहित अन्य कंपनियां अभी भी रूस से कच्चा तेल खरीद रही है। कच्चे तेल की खरीद संबंधी सभी निर्णय कीमत, कच्चे तेल की गुणवत्ता, भंडारण, लॉजिस्टिक्स और अन्य आर्थिक कारकों पर आधारित हैं।
ANI ने सूत्रों के हवाले बताया कि भारत ने रूस से तेल खरीदने का फैसला रणनीतिक रूप से लिया गया है, क्योंकि रूस विश्व कस दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक देश है और निर्यातक भी है। जबकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, भारत की जरूरतों को 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। रूस रोजाना करीब 9.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उतपादन करता है। बता दें कि मार्च 2022 में जब रूस के तेल पर संभावित प्रतिबंधों की आशंका फैली थी, तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत $137 प्रति बैरल तक पहुंच गई थी।
गौरतलब है कि 31 जुलाई 2025 को नामी मीडिया संस्थान रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया था कि अमेरिकी टैरिफ की धमकियों और रूस से मिल रहे छूट में कमी के चलते भारत की सरकारी रिफाइनरियों ने रूस से तेल की खरीद अस्थायी रूप से रोक दी है। सूत्रों ने बताया कि रूस से तेल खरीद पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इसके बजाय, G7 और यूरोपीय संघ ने एक मूल्य सीमा नीति लागू की है, जिससे रूस की आमदनी सीमित हो लेकिन वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित न हो। भारत ने एक जिम्मेदार वैश्विक ऊर्जा भागीदार की भूमिका निभाई है और हमेशा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन किया है।
ANI के सूत्रों ने बताया कि रूसी तेल पर अमेरिकी या यूरोपीय संघ का कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके विपरीत, ईरान और वेनेजुएला का तेल वास्तव में प्रतिबंधित है, जिसे भारतीय कंपनियां नहीं खरीदती हैं। भारतीय तेल कंपनियों ने रूसी तेल की कीमतों के लिए $60 प्रति बैरल की सीमा का हमेशा पालन किया है, जो अमेरिका द्वारा सुझाई गई है। अब EU ने इसे घटाकर $47.6 डॉलर कर दिया है, जो सितंबर से लागू होगा।
सूत्रों ने यह भी जोड़ा कि यूरोपीय संघ खुद रूसी LNG का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। वर्ष 2025 में रूस की कुल LNG निर्यात का 51% हिस्सा यूरोप को, 21% चीन को और 18% जापान को गया। पाइपलाइन के माध्यम से भी यूरोप 37%, चीन 30%, और तुर्की 27% के साथ शीर्ष खरीदार रहे हैं।