डरूंगी नहीं, उच्चतम न्यायालय पर पूरा भरोसा है: उन्नाव बलात्कार पीड़िता

डरूंगी नहीं, उच्चतम न्यायालय पर पूरा भरोसा है: उन्नाव बलात्कार पीड़िता

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  • Publish Date - December 26, 2025 / 08:52 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 08:52 PM IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) उन्नाव बलात्कार पीड़िता ने शुक्रवार को कहा कि वह कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा के निलंबन के फैसले से नहीं डरेगी और उसे मामले में इंसाफ के लिए उच्चतम न्यायालय पर “पूरा भरोसा” है।

पीड़िता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह देश की महिलाओं के बीच गए संदेश पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाने के लिए उच्च न्यायालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुई थी।

पीड़िता ने एक नागरिक के रूप में सवाल उठाने के अपने अधिकार पर जोर दिया। उसने कहा, “ये सवाल पूछना मेरा और जनता का अधिकार है। हर न्यायाधीश ऐसा नहीं होता।”

पीड़िता ने कहा कि सेंगर को जमानत मिलने से उसके परिवार की सुरक्षा और आजीविका खतरे में पड़ गई है।

उसने कहा, “इस आदेश ने मुझे और मेरे जैसी कई महिलाओं को कैद कर दिया है। इससे मेरे परिवार को खतरा है। मेरे पति की नौकरी चली गई है। अब हम क्या करें?”

शीर्ष अदालत में पूरा भरोसा जताते हुए पीड़िता ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।

पीड़िता ने कहा, “हम उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे और मुझे उस पर पूरा भरोसा है। शीर्ष अदालत ने मुझे पहले भी न्याय दिया है और मुझे यकीन है कि वह फिर से ऐसा करेगी।”

पीड़िता ने मामले में कानूनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लेते हुए कहा कि वह डरकर चुप बैठने वालों में से नहीं है। उसने कहा, “उन्हें लगा था कि हम डर जाएंगे और चुप रहेंगे। उन्होंने किसी महिला का दुर्गा अवतार नहीं देखा है। हम डरेंगे नहीं।”

पीड़िता ने अपने संघर्ष को महिलाओं के अधिकारों के लिए एक व्यापक लड़ाई बताया। उसने कहा, “यह इस देश की महिलाओं के लिए न्याय की लड़ाई है। मुझे इस बात की परवाह नहीं कि हमें जेल में डाला जा सकता है। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर को मंगलवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। उसने कहा कि सेंगर दिसंबर 2019 में निचली अदालत की ओर से दी गई सजा के खिलाफ उसकी अपील के निपटारे तक जमानत पर जेल से बाहर रहेगा।

उच्च न्यायालय ने सेंगर को आदेश दिया कि वह पीड़िता के घर के पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएगा और न ही उसे या उसकी मां को धमकाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि शर्तों का कोई भी उल्लंघन उनकी जमानत स्वतः ही रद्द होने का कारण बनेगा।

भाषा पारुल पवनेश

पवनेश