देश के कई राज्यों में बारिश का कहर, इस प्रदेश में सूखे जैसे हालात, कम बारिश होने के कारण किसानों की बढ़ी परेशानियां

Drought like situation in Jharkhand : झारखंड में 45 प्रतिशत कम बारिश होने की वजह से राज्य सूखे जैसे हालात की तरफ बढ़ रहा है।

  •  
  • Publish Date - July 23, 2023 / 03:38 PM IST,
    Updated On - July 23, 2023 / 11:13 PM IST

Drought like situation in Jharkhand : रांची। देश के कई राज्यों में बारिश का कहर जारी है। कई इलाकों में तो बाढ़ जैसे हालात बने हुए है। नदियां उफान पर है। तो वहीं झारखंड में 45 प्रतिशत कम बारिश होने की वजह से राज्य सूखे जैसे हालात की तरफ बढ़ रहा है। मॉनसून का मौसम चरम पर होने के बावजूद राज्य में लगभग 85 प्रतिशत कृषि भूमि परती रह गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 21 जुलाई तक केवल 4.15 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलों की बुवाई हुई, जो कृषि योग्य भूमि का मात्र 14.71 प्रतिशत हिस्सा है जबकि लक्ष्य 28.27 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई का था। इसके विपरीत 2022 में 21 जुलाई तक लगभग 20.40 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पर खेती की गई थी।

read more : 27-28 जुलाई को गुजरात दौरे पर रहेंगे PM मोदी, राजकोट में हवाई अड्डे का करेंगे उद्घाटन 

Drought like situation in Jharkhand : आंकड़ों के मुताबिक, सत्र की मुख्य फसल धान की बुवाई 18 लाख हेक्टेयर भूमि पर किये जाने का लक्ष्य था, लेकिन धान की बुवाई लक्षित भूमि के केवल 11.20 फीसदी भाग पर हुई है। वहीं, पिछले साल 21 जुलाई तक लक्षित भूमि के 11.76 फीसदी भूमि पर धान की बुवाई की गई थी। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो धान की बुवाई का अनुकूल समय एक जुलाई से 20 जुलाई तक होता है। विशेषज्ञों ने बताया, ”पिछले कुछ वर्षों में मॉनसून के शुरुआती महीनों में देरी से आने या फिर कम बारिश होने की वजह से आज-कल कई किसान अगस्त के मध्य तक फसल की बुवाई करते हैं, लेकिन इससे अच्छी फसल नहीं होती है।”

read more : सोमवार का दिन इन राशियों के लिए रहेगा खास, जातकों पर बरसेगी भगवान भोलेनाथ की कृपा, होगी धन की प्राप्ति 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हालात पर पहले ही चिंता व्यक्त कर चुके हैं। रांची में शनिवार को एक कार्यक्रम में सोरेन ने कहा, ”जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर किसानों को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि खेती में कौन-कौन से बदलावों की जरूरत है।” रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के अनुसंधान निदेशक पी.के. सिंह ने को बताया, ‘झारखंड के किसानों के लिए अगले सात से आठ दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर राज्य में अच्छी बारिश होती है तो किसान अधिक भूमि पर खेती कर पाएंगे और सूखे का प्रभाव कम होगा।’ राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 21 जुलाई तक 24 में से 11 जिलों में, जहां-जहां धान बोने का लक्ष्य रखा गया था उनमें पांच प्रतिशत से भी कम क्षेत्र में धान की बुवाई की गई है। सिर्फ पश्चिम सिंहभूम जिले में लक्षित भूमि पर 50 प्रतिशत धान की बुवाई की गई है।