रायपुर: कोयला घोटाले में अब मोनेट इस्पात की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। मोनेट इस्पात एवं एनर्जी लिमिटेड पर प्रवर्तन निदेशालय ने केस रजिस्टर्ड कर लिया है। इस कार्रवाई के बाद मोनेट की मुश्किलें बढ़ सकती है। हालांकि अभी शुरूआती दौर में मनी लांड्रिंग का ये आंकड़ा 400 करोड़ का है.. लेकिन ये राशि अब बढ़ सकती है। इस मामले में इसी साल जुलाई में ही सीबीआई दिल्ली ने भी कंपनी से जुड़े तथा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। ईडी रायपुर ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत अब अलग-अलग विभागों से तथ्य मांगे हैं।
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रायपुर में 0.5 एटीपीए स्पंज आयरन प्लांट के लिए कोयले की आपूर्ति हेतु रायगढ़ लोक फील्ड में कैप्टिव कोयला ब्लॉक गारे पाल्मा में -5 के लिए आवेदन किया था। कंपनी अगस्त 2004 में ब्लॉक से कोयला निकालना शुरू कर दिया। हालांकि वे 0.5 एटीपीए की प्रस्तावित क्षमता के खिलाफ रायपुर में केवल 0.3 एटीपीए स्पंज आयरन प्लांट स्थापित कर पाए थे। कंपनी ने रायगढ़ में भी स्पंज आयरन प्लांट स्थापित किया था। वर्ष 2005-06 से कोयला मंत्रालय की अनुमति लिए बिना कंपनी ने अपने रायगढ़ प्लांट में गारे पाल्मा -5 कोयला ब्लाक से कोयले का उपयोग करना शुरू कर दिया अौर 2008-09 से रायपुर प्लांट की तुलना में रायगढ़ प्लांट से अधिक कोयले का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। जबकि कोयले का ब्लाक केवल रायपुर के स्पंज अायरन प्लांट के लिए आवंटित थी.
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ईडी के मुताबिक कंपनी ने अनधिकृत रूप से गारे पाल्मा-5 कोयला ब्लाक से उत्खनित कोयला जिसे रायपुर संयंत्र के लिए आवंटित किया गया था, रायगढ़ प्लांट में डायर्वट कर दिया इसके अलावा कंपनी ने 2007 तक सीपीपी में इस ब्लाक में कोयला से गैरकानूनी रूप से कोयले का दुरपयोग किया इसके साथ ही कंपनी ने राजगमार कोयला ब्लाक हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय के गलत जानकारी दी। ताकि उसे ब्लाक मिल सके। ईडी का कहना है कि प्रारंभिक आकलन में कंपनी द्वारा करीब 400 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का अपराध किया जाना दिख रहा है।