सिख विरोधी दंगों के मामले में चार और लोग गिरफ्तार

सिख विरोधी दंगों के मामले में चार और लोग गिरफ्तार

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  • Publish Date - July 13, 2022 / 03:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:48 PM IST

कानपुर (उप्र), 13 जुलाई (भाषा) 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने चार और आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है जो कथित रूप से उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने हिंसा के दौरान एक घर में आग लगा दी थी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

कानपुर में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कुल 127 लोग मारे गए थे।

दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद यहां हुई हिंसा के सिलसिले में एसआईटी अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

पांच मामलों में सोमवार और मंगलवार को लगातार दो दिनों में नयी गिरफ्तारियां की गईं, जिनमें से एक मामला नौबस्ता पुलिस थाने में दर्ज किया गया, और बाकी चार मामले गोविंद नगर पुलिस थाने में दर्ज किए गए।

उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन साल पहले दंगों से जुड़े मामलों की दोबारा जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।

गिरफ्तार किए गए चार लोगों की पहचान राजन लाल पांडे (85), धीरेंद्र कुमार तिवारी (70), दीपक (70) और कैलाश पाल (70) के तौर पर हुई है जो क्रमश: नौबस्ता, किदवई नगर, बर्रा और गोविंद नगर के रहने वाले हैं।

एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

तीन आरोपियों को नौबस्ता थाने में दर्ज मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था जबकि कैलाश पाल की गिरफ्तारी गोविंद नगर पुलिस थाने में दर्ज चार मामलों में की गई।

उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 396 (डकैती के साथ हत्या) और 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से शरारत) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने बताया 11 अन्य लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं, जिनकी पहचान पुलिस ने कर ली है, लेकिन फिलहाल फरार हैं। डीआईजी ने कहा कि नौबस्ता और गोविंद नगर पुलिस के समक्ष दर्ज दो अलग-अलग प्राथमिकी में उनके नाम हैं।

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई 15 जून को शुरू हुई थी जब एसआईटी ने घाटमपुर से चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उसके बाद 21 जून को दो और गिरफ्तारियां हुईं। अभी 20 दिन पहले, एसआईटी ने पांच लोगों को भी पकड़ा था।

एसआईटी ने 6 जुलाई को दो सगे भाइयों, योगेश शर्मा (65) और उनके छोटे भाई भरत शर्मा (60) सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था – दोनों दाबौली, गोविंद नगर के निवासी थे।

उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने 27 मई 2019 को एसआईटी का गठन किया था । डीआईजी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एसआईटी पिछले तीन साल से सिख विरोधी दंगों की जांच कर रही है तथा अधिक संदिग्धों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।

एसआईटी ने पहले 96 लोगों की पहचान प्रमुख संदिग्धों के रूप में की थी, जिनमें से 22 की मौत हो चुकी है। अधिकारी ने कहा कि करीब दो दर्जन संदिग्धों का ब्योरा इकट्ठा किया गया और इससे एसआईटी को अब तक 19 को पकड़ने में मदद मिली है।

भाषा सं. जफर

मनीषा प्रशांत

प्रशांत