शरीर के इस अंग में छिपाकर ड्रग्स की तस्करी करती हैं युवतियां, भारत-बांग्लादेश सीमा पर ऑन डिमांड होती है सप्लाई

भारत में नशीली दवाओं की स्मगलिंग तेजी से हो रही हैं। भारत से पडोसी देशों में भारी मात्रा में नशीली दवाओं को भेजा जा रहा है।

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  • Publish Date - September 15, 2022 / 01:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

Drugs smuggling along the India-Bangladesh border : नई दिल्ली – भारत में नशीली दवाओं की स्मगलिंग तेजी से हो रही हैं। भारत से पडोसी देशों में भारी मात्रा में नशीली दवाओं को भेजा जा रहा है। कुछ दिन पहले एक खबर सामने आई थी जहां पर भारत-बांग्लादेश सीमा पर भारत की ओर से गायों को केले के पेड में बांधकर बांग्लादेश भेजा जाता है। वहीं अब एक ओर खबर सामने आई है। 4096 किमी लंबे भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर कैटल से ज्यादा ड्रग्स की स्मगलिंग हो रही है। गांजा-चरस जैसी नशीली चीजें लड़कियां कपड़ों में छिपाकर ले जाती हैं।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Drugs smuggling along the India-Bangladesh border : भारत में बनने वाली खांसी की दवा फेंसेडिल की बांग्लादेश में सबसे ज्यादा डिमांड है। वहां लोग नशे के लिए शराब से परहेज करते हैं। इसलिए वे फेंसेडिल पीकर नशा कर रहे हैं। भारत में इसकी 100 ML की बॉटल करीब 150 रुपए में मिलती है। तस्कर बांग्लादेश में इसे 1500 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक में बेच रहे हैं।

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Drugs smuggling along the India-Bangladesh border : जानकारी के लिए बता दूं कि मुर्शिदाबाद से करीब 50 किमी दूर जांलगी ब्लॉक है जो बांग्लादेश बॉर्डर से एकदम सटा हुआ है। बांग्लादेश से इसकी दूरी सिर्फ 2 किमी ही है। जिससे यहां का इलाका तस्करी का अड्डा बन गया है। इसके साथ ही पद्मा नदी जालंगी और बांग्लादेश के बीच बॉर्डर जैसा काम करती है। इसके एक तरफ भारत है, तो दूसरी तरफ बांग्लादेश। नदी के दोनों ओर खेती होती है। ज्यादातर किसान जूट और केले की खेती करते हैं। जूट और केले के पेड़ इतने बड़े और घने होते हैं, कि इनमें तस्करों का छिपना आसान हो जाता है। बॉर्डर की सिक्योरिटी के लिए BSF ने ऑब्जर्वेशन पॉइंट बना रखे हैं, लेकिन एक ऑब्जर्वेशन पॉइंट पर एक या दो जवान ही होते हैं। इनके जिम्मे 500 मीटर से एक किमी तक का इलाका होता है।

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Drugs smuggling along the India-Bangladesh border : जिन वाहनों से यह नशीले पदार्थ लाए जाते है उनको बांग्लादेश सीमा से 3 किमी पीछे ही रोक दिया जाता हैं। यह जगह किसी गांव वाले का ही घर या दुकान हो सकती है। इन घरों को तस्करों ने अपना अड्डा बनाकर रखा हुआ है। जहां पर तस्कर पूरा माल स्टोर करके रखते है। और बाद में यह माल अलग-अलग लोगों में बांट दिया जाता है। वहीं बाद में यह माल खेतों में काम करने वाले मजदूर भी बॉर्डर तक माल ले जाते हैं। वहीं इस काम के लिए महिलाएं और लडकियां इस काम में अधिक देखी जाती है। महिलाएं अपने कपडों में नशीले पदार्थ को छिपाकर ले जाती है। और कटीले तारों के बीच से यह माल सप्लाई कर दिया जाता है। महिलाओं को इस काम के लिए 500 से 700 रूपये तक मिल जाते है।

 

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