सोनीपत (हरियाणा), 21 मई (भाषा) अशोका यूनिवर्सिटी ने बुधवार को कहा कि उसके प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने से उसे राहत महसूस हो रही है।
महमूदाबाद को रविवार को हरियाणा पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित उनके सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया था।
विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हमें प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने से राहत और खुशी हुई है। इससे उनके परिवार और अशोका यूनिवर्सिटी में हम सभी को बहुत राहत मिली है।’’
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया कि वह मामले की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर आईजी रैंक के किसी अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करें, जिसमें एसपी रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल हो।
सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर की ऑनलाइन पोस्ट की जांच-पड़ताल करने वाली पीठ ने उनके शब्दों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनका इस्तेमाल जानबूझकर दूसरों को अपमानित करने या उन्हें असहज करने के लिए किया गया था।
सोनीपत की एक अदालत ने मंगलवार को महमूदाबाद को 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
हरियाणा पुलिस ने महमूदाबाद को रविवार को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि ऑपरेशन सिंदूर पर प्रोफेसर के सोशल मीडिया पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला है।
सोनीपत जिले के राई थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थीं जिनमें एक हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर और दूसरी एक गांव के सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई।
कई राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों ने महमूदाबाद की गिरफ्तारी की निंदा की थी।
भाषा वैभव नरेश
नरेश
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