असम में रणनीतिक भूमिगत हथियार भंडारण केंद्र के लिए सरकार ने दी वन भूमि को मंजूरी

असम में रणनीतिक भूमिगत हथियार भंडारण केंद्र के लिए सरकार ने दी वन भूमि को मंजूरी

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 10:09 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 10:09 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने असम में 299 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि को सुरंग आधारित भूमिगत हथियार भंडारण केंद्र के लिए उपयोग में लाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी की सिफारिश की है।

केंद्र सरकार ने यह कहा कि पूर्वी क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक हालात और उससे जुड़ी अस्थिरता के बीच यह परियोजना ‘रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण’ है।

वायुसेना स्टेशन दिगारू के स्टेशन कमांडर द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव मोरीगांव जिले के नागांव डिवीजन के अंतर्गत सोनाइकुची आरक्षित वन से संबंधित है।

पर्यावरण मंत्रालय की सलाहकार समिति की दो दिसंबर को हुई बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, परियोजना के तहत भूमिगत हथियार भंडारण क्षेत्र के लिए 265.513 हेक्टेयर और प्रशासनिक भवनों, सुरक्षा चौकियों, बाड़, सीमा दीवार और पहुंच मार्गों जैसे सतही बुनियादी ढांचे के लिए 33.688 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है।

इस जंगल में पेड़-पौधों का घनत्व 0.7 है और 203 पेड़ों को काटना पड़ सकता है।

कार्यवाही के विवरण के मुताबिक, कोई भी संरक्षित क्षेत्र इस जगह से 10 किलोमीटर के दायरे में नहीं आता है और यहां कोई भी संरक्षित पुरातात्विक या एतिहासिक स्थल भी नहीं है।

नोडल अधिकारी ने समिति को सूचित किया कि ‘पूर्वी क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक माहौल और उससे जुड़ी अस्थिरता को देखते हुए यह प्रस्ताव रणनीतिक महत्व रखता है’।

अधिकारी ने कहा, ‘‘त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करने और उपलब्ध भंडारों को कम से कम समय में तैनात करने के लिए भूमिगत भंडारण क्षमता का विकास एक तत्काल आवश्यकता है।’’

समिति ने कहा कि राज्य सरकार ने सोनाइकुची आरक्षित वन में 85.75 हेक्टेयर क्षेत्र में क्षतिपूर्ति पौधा रोपण का प्रस्ताव दिया है। इसमें से 68 हेक्टेयर क्षेत्र पौधा रोपण के लिए उपयुक्त पाया गया है साथ ही 10 साल की इसके रखरखाव की योजना भी शामिल है।

समिति ने गया है कि इस जगह के कुछ हिस्सों में कच्ची सड़कों और खेती के निशान दिखाई देते हैं। राज्य ने स्पष्ट किया कि ये वन गश्ती मार्ग हैं और अतिक्रमणकारियों को बेदखल कर दिया जाएगा।

क्षेत्रीय कार्यालय के निरीक्षण में वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया।

समिति ने एक व्यापक वन्यजीव संरक्षण योजना बनाने का अनुरोध किया है, जिससे मानव-हाथी संघर्ष को कम करने, प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और वन्यजीवों पर तनाव को कम करने के लिए एक वैकल्पिक जल स्रोत बनाया जा सकता है या नहीं इसका आकलन किया जाएगा।

भाषा यासिर रंजन

रंजन