बीमा क्षेत्र में शत प्रतिशत एफडीआई संबंधी विधेयक लाने की तैयारी में सरकार

बीमा क्षेत्र में शत प्रतिशत एफडीआई संबंधी विधेयक लाने की तैयारी में सरकार

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  • Publish Date - December 15, 2025 / 01:20 PM IST,
    Updated On - December 15, 2025 / 01:20 PM IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) सरकार वर्ष 2047 तक सभी को बीमा की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए इस सप्ताह संसद में एक विधेयक पेश करने की योजना बना रही है।

संसद में पेश होने से पहले संसद सदस्यों को वितरित विधेयक की प्रति के अनुसार, ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) अधिनियम, 2025’, बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में संशोधन करने के लिए लाया जा रहा है।

इसमें कहा गया है कि संशोधन से बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी।

विधेयक के अनुसार, बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के बावजूद शीर्ष अधिकारियों में से एक-अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या सीईओ- एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।

यह एक गैर-बीमा कंपनी के बीमा कंपनी में विलय का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, इसके माध्यम से बीमा क्षेत्र की वृद्धि और विकास में तेजी लाना और पॉलिसीधारकों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

विधेयक पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए पॉलिसीधारक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना का प्रावधान करता है।

इसमें कहा गया है कि इससे बीमा कंपनियों, मध्यस्थों और अन्य हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी होगी, विनियमन बनाने में पारदर्शिता आएगी और क्षेत्र पर नियामक निगरानी बढ़ेगी।

कंपनी के अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में विधेयक पांच साल के कार्यकाल या उनके 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का प्रावधान करता है।

वर्तमान में पूर्णकालिक सदस्यों के लिए ऊपरी आयु सीमा 62 वर्ष है, जबकि अध्यक्ष के लिए यह 65 वर्ष है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।

भाषा हक हक वैभव

वैभव