सरकार ने दो कश्मीरी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों की समीक्षा के लिए न्यायाधिकरण गठित किये

सरकार ने दो कश्मीरी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों की समीक्षा के लिए न्यायाधिकरण गठित किये

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  • Publish Date - April 4, 2025 / 09:43 PM IST,
    Updated On - April 4, 2025 / 09:43 PM IST

नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) केंद्र ने यह तय करने के लिए कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय दो संगठनों को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने के पर्याप्त आधार हैं या नहीं, दो अलग-अलग न्यायाधिकरण गठित किये हैं। इन दोनों न्यायाधिकरण में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सचिन दत्ता शामिल हैं।

कश्मीर के प्रभावशाली मौलवी मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और शिया नेता मसरूर अब्बास अंसारी के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) को सरकार ने 11 मार्च को कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, आतंकवाद का समर्थन करने और अलगाववादी कृत्यों को बढ़ावा देने के लिए पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया था।

इस संबंध में जारी अधिसूचना में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 4 की उप-धारा (1) के साथ धारा 5 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण का गठन किया है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सचिन दत्ता शामिल हैं, जिसका उद्देश्य यह निर्णय करना है कि अवामी एक्शन कमेटी को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।

जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन के लिए भी मंत्रालय ने इसी तरह की अधिसूचना जारी की है। इस न्यायाधिकरण में भी न्यायमूर्ति सचिन दत्ता को शामिल किया गया है।

गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को दोनों संगठनों को प्रतिबंधित संगठन घोषित करते हुए कहा था कि एएसी और जेकेआईएम गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा है।

भाषा धीरज संतोष

संतोष