गुजरात ने 30 से अधिक साल बाद ‘बाघ की मौजूदगी वाले राज्य’ का दर्जा फिर से हासिल किया

गुजरात ने 30 से अधिक साल बाद ‘बाघ की मौजूदगी वाले राज्य’ का दर्जा फिर से हासिल किया

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  • Publish Date - December 26, 2025 / 06:19 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 06:19 PM IST

अहमदाबाद, 26 दिसंबर (भाषा) गुजरात ने तीन दशकों से अधिक समय बाद ‘बाघ की मौजूदगी वाले राज्य’ का दर्जा फिर से हासिल कर लिया है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने गुजरात में एक बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की है। उप मुख्यमंत्री हर्ष सांघवी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

एक अन्य मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही गुजरात अब शेर और तेंदुए के साथ बाघ का भी घर बन गया है।

वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, गुजरात में 36 साल पहले 1989 में बाघ विलुप्त हो गए थे। यह घटनाक्रम गुजरात वन विभाग द्वारा यह घोषणा किए जाने के लगभग एक महीने बाद आया है कि एक भटकते हुए बाघ ने दाहोद जिले के रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य को अपना नया घर बना लिया है और अब वह वहीं बस गया है।

सांघवी ने ‘एक्स’ पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि गुजरात ने 30 से अधिक साल बाद बाघों की मौजूदगी दर्शाने वाले भारत के नक्शे में फिर से जगह बनाई है।

उन्होंने कहा कि रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य (दाहोद) में लगे कैमरे में रिकॉर्ड किए गए सबूतों की पुष्टि करते हुए एनटीसीए ने वर्ष 2026 की गणना के लिए आधिकारिक तौर पर गुजरात को बाघ वाले राज्य के रूप में फिर से शामिल कर लिया है।

गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्री अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि एनटीसीए की एक टीम ने हाल ही में अध्ययन करने के लिए राज्य का दौरा किया था और अभयारण्य में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘एनटीसीए की एक टीम ने हाल ही में राज्य का दौरा किया और एक शुरुआती रिपोर्ट तैयार की, जिसमें कहा गया है कि गुजरात में एक बाघ है। रिपोर्ट में एनटीसीए ने पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम भी सुझाए हैं जो राज्य में बाघों के संरक्षण में मदद करेंगे।’’

भाषा संतोष रंजन

रंजन