Surat News: गुजरात की सूरत महानगरपालिका ने शहर के अपशिष्ट जल को राजस्व का जरिया बनाया

wastewater into a source of revenue: एसएमसी की आयुक्त ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया में ‘डायमंड सिटी’ के नाम से मशहूर सूरत में बड़ी संख्या में कपड़ा और सौर पैनल निर्माण इकाइयां एवं उद्योग हैं जिन्हें प्रतिदिन भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।

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  • Publish Date - July 4, 2025 / 04:06 PM IST,
    Updated On - July 6, 2025 / 12:09 AM IST

Train Derailed In Raipur | Photo Credit: IBC24 File Photo

HIGHLIGHTS
  • स्थानीय उद्योगों को की गई बिक्री के जरिए 140 करोड़ रुपये अर्जित
  • शहर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को मलजल प्रणाली के माध्यम से एकत्र किया

चंडीगढ़: wastewater into a source of revenue, गुजरात की सूरत महानगरपालिका (एसएमसी) ने शहर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को राजस्व बढ़ाने के एक संसाधन में बदल दिया और इसका शोधन कर स्थानीय उद्योगों को की गई बिक्री के जरिए 140 करोड़ रुपये अर्जित किए

हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मानेसर में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्थानीय नगर निकायों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में बृहस्पतिवार को सूरत महानगरपालिका की आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने इस उल्लेखनीय सफलता की कहानी साझा की। इस पहल ने न सिर्फ पानी के पुन: उपयोग की समस्या को सुलझाया है बल्कि नगर निकाय के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी तैयार किया है।

एसएमसी की आयुक्त ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया में ‘डायमंड सिटी’ के नाम से मशहूर सूरत में बड़ी संख्या में कपड़ा और सौर पैनल निर्माण इकाइयां एवं उद्योग हैं जिन्हें प्रतिदिन भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।

शहर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को मलजल प्रणाली के माध्यम से एकत्र किया जाता है और शोधन संयंत्रों में भेजा जाता है। प्रतिदिन 11.50 करोड़ लीटर की क्षमता वाले तीन संयंत्र इस पानी को शोधित करते हैं और फिर स्थानीय उद्योगों में इसकी आपूर्ति की जाती है। इस पहल से लगभग 140 करोड़ रुपये का राजस्व होता है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में शहर से निकलने वाला केवल 33 प्रतिशत अपशिष्ट जल ही शोधित किया जा रहा है। हालांकि, आगामी वर्षों में इस क्षमता को बढ़ाने के प्रयास के तहत 2030 तक 70 प्रतिशत और 2035 तक 100 प्रतिशत अपशिष्ट जल को शोधित करने का लक्ष्य है। इससे 450 करोड़ रुपये को राजस्व हासिल होने की उम्मीद है।

उन्होंने यह भी बताया कि शोधित जल की न केवल उद्योगों को आपूर्ति की जाती है, बल्कि निर्माण कार्यों में भी इसका उपयोग किया जाता है। अग्रवाल ने कहा कि शहर में एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू की गई है।

निर्माण कार्य के दौरान निकलने वाले अपशिष्ट को लोग केवल एक ‘क्लिक’ से निर्दिष्ट प्रसंस्करण स्थलों पर भेज सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन अनुरोध किए जाने के बाद अपशिष्ट को स्थान से सीधे एकत्र किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि एसएमसी को उसके प्रयासों के लिए पांचवें राष्ट्रीय जल दिवस पर सम्मानित किया गया था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण सहित अन्य लोगों ने इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

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