भारत में हसीना का प्रवास देश की सभ्यतागत विचारधारा से प्रेरित : संसदीय समिति

भारत में हसीना का प्रवास देश की सभ्यतागत विचारधारा से प्रेरित : संसदीय समिति

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 09:47 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 09:47 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) एक संसदीय समिति ने कहा कि उसने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत प्रवास का संज्ञान लिया है और यह कदम गंभीर संकट या अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहे व्यक्तियों को शरण देने को लेकर ‘सभ्यतागत नैतिकता’ और ‘मानवीय परंपरा’ के भारतीय दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित है।

विदेश मामलों की समिति ने सिफारिश की कि सरकार को भारत के मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप ‘अपने सैद्धांतिक और मानवीय दृष्टिकोण को जारी रखना चाहिए’, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी स्थितियों से ‘‘उचित संवेदनशीलता के साथ निपटा जाए’’।

कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति द्वारा तैयार की गई ‘‘भारत-बांग्लादेश संबंधों का भविष्य’’ शीर्षक वाली रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद में प्रस्तुत की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने गौर किया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का देश में प्रवास और इस संबंध में भारत का दृष्टिकोण, गंभीर संकट या अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहे व्यक्तियों को शरण देने की उसकी सभ्यतागत नैतिकता और मानवीय परंपरा से निर्देशित है।’’

समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को भारत के मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप अपने सैद्धांतिक और मानवीय दृष्टिकोण को बनाए रखना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी स्थितियों को उचित संवेदनशीलता के साथ संभाला जाए।

पड़ोसी देश बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शनों के बाद पिछले साल अगस्त से हसीना भारत में रह रही हैं।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि उसने हसीना को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध पर ध्यान दिया है और सरकार से आग्रह किया है कि वह समिति को इस मामले पर विचार-विमर्श की जानकारी देती रहे।

समिति ने यह भी कहा कि उसे सूचित किया गया है कि भारत सरकार उन्हें राजनीतिक मंच या भारतीय धरती से राजनीतिक गतिविधियों के लिए कोई स्थान प्रदान नहीं करती है।

इस रिपोर्ट पर समिति ने 16 दिसंबर को आयोजित अपनी बैठक में विचार किया और इसे स्वीकार कर लिया।

भाषा सुरेश

सुरेश अविनाश

अविनाश