नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह के पिछले साल संसद में दिए गए बयान का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि महात्मा गांधी, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम और उनकी विचारधारा से नफ़रत ही भाजपा एवं आरएसएस की विचारधारा का मुख्य तत्व है।
पार्टी ने कहा कि भाजपा जितनी भी कोशिश कर ले इन नामों को हटाकर कोई नया भारत नहीं बनाया जा सकता।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि गांधी, आंबेडकर एवं नेहरू के नाम, उनकी विचारधारा तथा उनके नाम लेने वालों से यह चिढ़ व नफ़रत समय-समय पर सामने आती रहती है।
पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि शाह ने राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए अपने संबोधन के दौरान बाबासाहेब का अपमान किया।
मुख्य विपक्षी दल ने शाह के संबोधन का एक वीडियो अंश भी जारी किया था जिसमें गृह मंत्री विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए यह कहते सुने जा सकते हैं कि ‘‘अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर…। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’
बाद में शाह ने कहा था कि कांग्रेस उनके कथन तोड़-मरोड़ रही है।
रमेश ने बुधवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘गांधी, आंबेडकर और नेहरू के नाम, उनकी विचारधारा और उनके नाम लेने वालों से चिढ़ और नफ़रत भाजपा-आरएसएस की विचारधारा का मुख्य तत्व है। यह चिढ़ और नफ़रत समय-समय पर सामने आती रहती है।’’
उन्होंने दावा किया कि ठीक एक साल पहले केंद्रीय गृह मंत्री भरी संसद में बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति अपनी घृणित सोच छिपा नहीं सके थे और सार्वजनिक रूप से यह बयान दिया था कि ‘‘आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बन गया है…इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आज, एक साल बाद, मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाकर उसी एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है। हाल ही में वंदे मातरम् के बहाने संसद के भीतर ही पंडित नेहरू को कमतर दिखाने और बदनाम करने की कोशिश की गई। यह कोशिश लगातार चलती रहती है।’’
रमेश ने आरोप लगाया कि गांधी-आंबेडकर-नेहरू की साझा विरासत पर टिकी हमारी लोकतांत्रिक और संवैधानिक परंपरा को भाजपा-आरएसएस धीरे-धीरे ‘‘कुतरना’’ चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उनकी सबसे बड़ी विडंबना यही है कि वे चाहे जितना मिटाने, घटाने या बदनाम करने की कोशिश कर लें, भारत की आत्मा गांधी, नेहरू और आंबेडकर से अलग नहीं की जा सकती। इन नामों को हटाकर कोई नया भारत नहीं गढ़ा जा सकता, क्योंकि इसी विरासत पर यह लोकतंत्र, यह संविधान और यह देश खड़ा है।’’
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