यागराज, 28 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर से जुड़े विवाद के मामले में एएसआई की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए सोमवार को और मोहलत मांगे जाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुनवाई पांच मई तक के लिए टाल दी।
सोमवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिवक्ता ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने एएसआई को जवाब दाखिल करने के लिए 48 घंटे, जबकि मस्जिद कमेटी को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की।
यह सुनवाई मस्जिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर की जा रही है, जिसे संभल की एक अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दायर किया गया है। निचली अदालत ने एक अधिवक्ता आयोग को मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण का निर्देश दिया था।
इससे पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल की जिला अदालत में लंबित मूल मुकदमे की सुनवाई पर अगली तारीख तक के लिए रोक लगा दी थी। मूल मुकदमे में हिंदू पक्ष ने संभल के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित श्री हरिहर मंदिर (जामा मस्जिद) में प्रवेश का अधिकार मांगा है।
प्रबंधन समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दो सप्ताह के भीतर एएसआई को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उक्त वाद 19 नवंबर 2024 को दोपहर में दायर किया गया और कुछ घंटों के भीतर ही न्यायाधीश ने एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति कर उसे मस्जिद का प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दे दिया और उसी दिन और 24 नवंबर 2024 को यह सर्वेक्षण किया गया। अदालत ने सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर को पेश करने का भी निर्देश दिया था।
अधिवक्ता हरिशंकर जैन और सात अन्य लोगों ने संभल के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में एक वाद दायर कर रखा है, जिसमें दलील दी गई है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था।
भाषा
राजेंद्र पारुल
पारुल