Himachal Pradesh Rainfall Death Toll || Image- IBC24 News File
Himachal Pradesh Rainfall Death Toll: शिमला: पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में इस सीजन में मानसून का कहर जारी है। राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रदेश में हुए जानमाल के नुकसान को लेकर आंकड़े जारी किये है। एसडीएमए के अनुसार मौजूदा मानसून ने हिमाचल प्रदेश में जान-माल का भारी नुकसान पहुँचाया है और 20 जून से अब तक 303 लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा विभाग ने बताया है कि, कुल मौतों में से 155 मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़, बादल फटने, डूबने, बिजली का झटका लगने और अन्य मौसम संबंधी दुर्घटनाओं जैसी बारिश से जुड़ी घटनाओं के कारण हुईं, जबकि 148 लोगों की जान बरसात के मौसम में सड़क दुर्घटनाओं में गई।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि, इस साल मानसून की वजह से राज्य को और अधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। जयराम ठाकुर ने प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री का वितरण किया और नुकसान का जायजा लेने के लिए बाली चौक का दौरा भी किया। रविवार को एएनआई से बात करते हुए, जयराम ठाकुर ने कहा, “जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ रहा है, राज्य भर में नुकसान की घटनाएँ बढ़ रही हैं। मैं बाली चौक गया, जहाँ नुकसान हुआ है, और राहत सामग्री वितरित की। मेरे क्षेत्र को भी भारी नुकसान हुआ है।”
Himachal Pradesh Rainfall Death Toll: एसडीएमए की रिपोर्ट के मुताबिक़, वर्षाजनित आपदाओं में 360 लोग घायल हुए हैं और 1,212 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें 317 पूरी तरह से और 367 आंशिक रूप तबाह हुए है। इसके अलावा, 2,766 गौशालाएँ और 836 दुकानें क्षतिग्रस्त हुई हैं, साथ ही फसलों, बागवानी को भी काफी नुकसान पहुँचा है।
राज्य में भारी बारिश की वजह से कुल नुकसान 2,34,862.66 लाख रुपये तक पहुँच गया है। अकेले लोक निर्माण विभाग को 1,31,079 लाख रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। इसके बाद जल आपूर्ति (76,974 लाख रुपये) और बिजली बुनियादी ढांचे (13,946 लाख रुपये) को नुकसान हुआ है।
Himachal Pradesh Rainfall Death Toll: बात जानमाल के नुकसान की करें तो, मंडी में बारिश से संबंधित मौतों की संख्या सबसे अधिक (29) दर्ज की गई है, उसके बाद कांगड़ा (29) और चंबा (14) का स्थान है। सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के मामले में, चंबा 22 मौतों के साथ सबसे आगे है, उसके बाद मंडी (22) और कांगड़ा (19) का स्थान है। राज्य का पशुधन क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसमें 1,833 पशु मारे गए हैं और 25,755 से अधिक मुर्गी खो गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारी बारिश कई जिलों में खतरा बना हुआ है। भूस्खलन और बाढ़ के कारण राहत और बचाव के काम में समस्या आ रही हैं।