फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों, दवाखानों से जनता की सेहत पर असर :न्यायालय
फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों, दवाखानों से जनता की सेहत पर असर :न्यायालय
नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी पंजीकृत फार्मासिस्ट के बिना या फर्जी गैर-पंजीकृत केमिस्ट द्वारा अस्पतालों, दवाखानों को चलाना अंतत: नागरिकों की सेहत को प्रभावित करेगा।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने फार्मासिस्ट मुकेश कुमार की याचिका पर पारित पटना उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। याचिका में संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गयी थी कि किसी पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा किसी व्यक्ति को किसी चिकित्सक के परामर्श पर दवा मिलाने, तैयार करने आदि की अनुमति नहीं दी जाए।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने शिकायतों को विस्तार से देखे बिना रिट याचिका को अत्यंत लापरवाही पूर्ण तरीके से निस्तारित कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने यह कहकर रिट याचिका का निस्तारण कर दिया कि अपीलकर्ता हर मामले का व्यक्तिगत रूप से सत्यापन करने के बाद इस गैरकानूनी कार्यशैली पर या तो बिहार राज्य फार्मेसी परिषद या बिहार राज्य का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।’’
कुमार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए वकील रचिता राय के माध्यम से शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की थी।
भाषा
वैभव मनीषा
मनीषा

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