SC On Jai Shri Ram Slogan : मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना अपराध कैसे हुआ? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पूछा ये सवाल

SC On Jai Shri Ram Slogan : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर सुनवाई करते हुए पूछा कि, मस्जिद में जय श्री राम का नारा लगाना अपराध

SC On Jai Shri Ram Slogan : मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना अपराध कैसे हुआ? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पूछा ये सवाल

SC On Jai Shri Ram Slogan / Image Credit : File Photo

Modified Date: December 16, 2024 / 05:08 pm IST
Published Date: December 16, 2024 5:07 pm IST

नई दिल्ली : SC On Jai Shri Ram Slogan : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक आदेश पर सुनवाई करते हुए सवाल पूछा कि, मस्जिद में जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे हो गया। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर यह नारा लगाने वाले दो लोगो के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दर्ज केस को खत्म कर दिया था। इसके खिलाफ मस्जिद के केयरटेकर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने से इनकार किया। कोर्ट ने याचिका की कॉपी राज्य सरकार को देने को कहा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी।

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस वजह से रद्द कर दी थी FIR

SC On Jai Shri Ram Slogan : बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता हैदर अली की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि पुलिस की ओर से FIR दर्ज होने के 20 दिन बाद ही इस केस में कर्नाटक हाई कोर्ट ने FIR रद्द कर दी। उस वक्त इस केस की जांच चल ही रही थी। इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस संदीप मेहता ने सवाल किया कि। अगर वो लोग कोई ‘खास नारा’ भी लगा रहे थे, तो ये अपराध कैसे हो सकता है। कामत ने जवाब दिया कि किसी दूसरे के धार्मिक स्थान में घुसकर धार्मिक नारा लगाने के पीछे उनकी मंशा सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की थी।

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जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पूछा कि क्या आरोपियों की पहचान हो गई है? क्या सिर्फ मस्जिद के पास उनकी मौजूदगी से साबित हो जाता है कि उन्होंने नारे लगाए। क्या आप असल आरोपियों की शिनाख्त कर पाए हैं। इस पर वकील कामत ने जवाब दिया कि CCTV फुटेज मिले हैं। पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की है। कामत ने साफ किया कि वो इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से पेश हो रहे हैं। जांच करना, सबूत जुटाना पुलिस का काम है। FIR में भी सिर्फ अपराध की शुरुआती जानकारी होती है, सबूतों की पूरी जानकारी नहीं। इस केस में तो जांच पूरी होने से पहले ही हाई कोर्ट ने केस रद्द कर दिया।

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क्या है पूरा मामला

SC On Jai Shri Ram Slogan : इस केस में आरोप था कि दो लोग कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के ऐथुर गांव में पिछले साल बदरिया जुम्मा मस्जिद में घुस आए और उन्होंने वहां ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। इसके साथ ही धमकी दी कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को शांति से नहीं रहने देंगे।

पुलिस ने दोनों लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद उन पर IPC की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) 447 (ट्रेसपास) और 506 (आपराधिक धमकी) समेत कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। अभी जांच जारी ही थी कि आरोपियों ने राहत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया। इस साल 13 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने उन्हें राहत देते हुए मामला रद्द कर दिया।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि अगर कोई ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी। जब शिकायतकर्ता खुद कहता है कि इलाके में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के साथ रह रहे हैं तो इस घटना के चलते कोई माहौल बिगड़ेगा, इसकी संभावना नहीं है।

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मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से जुड़ी बड़ी बातें

प्रश्न 1: मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना अपराध कैसे हो गया?

उत्तर: यह मामला धार्मिक भावनाओं को आहत करने और ट्रेसपासिंग जैसे आरोपों से संबंधित है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में FIR को रद्द करते हुए कहा कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना समझ से परे है।

प्रश्न 2: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या निर्णय लिया?

उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी करने से इनकार किया और याचिका की कॉपी राज्य सरकार को देने का आदेश दिया। अगली सुनवाई जनवरी में होगी।

प्रश्न 3: कर्नाटक हाईकोर्ट ने FIR क्यों रद्द की?

उत्तर: हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने यह स्वीकार किया था कि इलाके में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द था और इस घटना के चलते कोई माहौल बिगड़ने की संभावना नहीं थी। इसलिए हाईकोर्ट ने FIR रद्द कर दी।

प्रश्न 4: इस मामले में आरोपियों के खिलाफ क्या धाराएँ हैं?

उत्तर: आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 447 (ट्रेसपास) और 506 (आपराधिक धमकी) समेत कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

प्रश्न 5: क्या इस मामले में कोई सबूत प्रस्तुत किए गए थे?

उत्तर: हाँ, याचिकाकर्ता ने बताया कि CCTV फुटेज मिले हैं जिसके माध्यम से आरोपियों की पहचान की गई है।

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