पश्चिमी UP के वोटरों को साधने में कामयाब रही भाजपा, जानिए कैसा रहा जाट, किसान और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन?

जानिए कैसा रहा जाट, किसान और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन? How was the performance of BJP in Western UP?

पश्चिमी UP के वोटरों को साधने में कामयाब रही भाजपा, जानिए कैसा रहा जाट, किसान और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: March 11, 2022 12:07 am IST

रिपोर्ट- विजय दीक्षित, लखनऊ: performance of BJP in Western UP दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर साल भर से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन का पश्चिमी यूपी पर क्या असर रहा? सपा-रालोद गठबंधन ने जाट-मुस्लिम-यादव का जिसे अजेय समीकरण बताया गया, उसका क्या हुआ? यूपी में बीजेपी की जीत की वजह और मायने यूपी के जाट, किसान और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी का कैसा प्रदर्शन रहा?

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performance of BJP in Western UP किसान आंदोलन और बाद में सपा-रालोद गठबंधन को लेकर कहा जा रहा था कि इससे पश्चिमी यूपी में जाट और मुस्लिम फिर एक साथ आ रहे हैं जो 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एक-दूसरे से दूर हो गए थे। हालांकि जमीन पर ऐसा नहीं दिखा, सपा-रालोद का गठबंधन बीजेपी को कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा पाया। पश्चिमी यूपी की 22 जाट बहुल सीटों में लगभग आधी सीट पर बीजेपी फिर से वापस आ गई। हालांकि इसमें आरएलडी को जरूर फायदा हुआ और वो 1 सीट से 8 सीट तक पहुंच गई। लेकिन समाजवादी पार्टी गठबंधन को किसान आंदोलन का वैसा फायदा नहीं मिला जैसा उम्मीद कर रही थी।

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वहीं मुस्लिम वोटर्स वाले इलाकों में समाजवादी पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान तो हुए, लेकिन दूसरी तरफ इसके जवाब में इलाकों में बीजेपी के लिए भी पोलराइजेशन जोरदार रहा। नतीजा ये हुआ कि अखिलेश के माय समीकरण के मुकाबले बाकी सभी जातियां आगे आईं। यूपी की 96 मुस्लिम बहुल सीटों में आधी से ज्यादा यानी 55 पर बीजेपी कामयाब रही। इसमें बीएसपी और कुछ सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने भी मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश की। लेकिन नतीजे बता रहे हैं मुस्लिम वोटरों का एक बड़ा हिस्सा सपा गठबंधन के खाते में ही गया।

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यूपी की दलित बहुल इलाकों में भी बीजेपी को बढ़त मिली। ऐसी 190 सीटों में से 122 पर बीजेपी आगे रही। चुनाव से ठीक पहले 80 बनाम 20 के योगी के संदेश ने जाति में बंटे हिंदू वर्ग को एकजुट किया। नतीजा ये हुआ कि यूपी में सीएम और सत्ताधारी दल के वापस सत्ता में नहीं आने के कई रिकॉर्ड भी टूट गए।

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