How will Congress deal with rebellious voice that rises after defeat?

पंजाब में ‘झाड़ू’ ने किया सबका सफाया, हार के बाद उठने वाले विद्रोही स्वर से कैसे निपटेगी कांग्रेस?

हार के बाद उठने वाले विद्रोही स्वर से कैसे निपटेगी कांग्रेस? How will Congress deal with rebellious voice that rises after defeat?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : March 10, 2022/11:57 pm IST

रायपुर: Congress deal with rebellious  पंजाब में सियासी बदलाव के कयास तो पहले से थे, लेकिन चुनाव नतीजों ने तो बदलाव की नई परिभाषा तय कर दी है। यहां आम आदमी पार्टी ने न सिर्फ बहुमत के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया, बल्कि विनिंग सीट्स का ऐसा पहाड़ खड़ा कर दिया कि कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा समेत उसके सहयोगी मिलकर भी आप के लगभग चौथाई हिस्से तक ही पहुंच पा रहे हैं।

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Congress deal with rebellious  ये नया पंजाब है, जहां अब तक सिर्फ कांग्रेस और अकाली दल की ही सरकारें बनती थीं, वहां आप की झाड़ू ने सबको साफ कर यहां से बाहर कर दिया है। आप के CM कैंडिडेट भगवंत मान ने 45 हजार वोट से रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने धूरी सीट से कांग्रेस के दलबीर गोल्डी को शिकस्त दी। आप की सुनामी इतनी प्रचंड थी कि बड़े-बड़े शूरमा उड़ गए। मौजूदा CM चरणजीत चन्नी तो दोनों सीटों पर आप कैंडिडेट से हार गए। वहीं, नवजोत सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर, सुखबीर बादल को भी आप के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 30 साल में पहली बार बादल परिवार का कोई सदस्य विधानसभा चुनाव नहीं जीता। बंपर जीत के बाद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब की जनता ने बता दिया कि केजरीवाल आतंकवादी नहीं है, बल्कि देश का सच्चा सपूत है।

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आप पंजाब में बहुत पहले से अपने लिए जमीन तैयार हो रही थी। फिर कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल ने आपस में उलझकर उसकी पूरी मदद की। किसान बिल को लेकर अकाली दल ने भाजपा से पुराना नाता तोड़ लिया। वहीं कांग्रेस ने नवजोत सिद्धू पर भरोसा करके कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव से साढ़े 3 महीने पहले CM की कुर्सी से उतार दिया। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने भी सिद्धू पर दांव खेलने का रिस्क उठाने की जगह चरणजीत चन्नी को CM चेहरा बना दिया। कांग्रेस ने अपने इस फैसले से दलित वोट बैंक को तो खुश किया लेकिन जट्ट सिख लॉबी उससे नाराज हो गई।

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AAP ने सिख चेहरे के तौर पर भगवंत मान को CM कैंडिडेट बनाया। इससे पंजाब के सिख समाज में अच्छा संदेश गया। पार्टी से जुड़े वालंटियरों और नेताओं को यह भरोसा हो गया कि इस बार कोई ‘बाहरी आदमी’ पंजाब से जुड़े फैसले नहीं लेगा। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने बदलाव की हवा को भांप लिया। इसके बाद प्रचार की पूरी रणनीति बदल गई। अभी तक शिक्षा, अस्पताल और बिजली के मुद्दे उठा रही आप ने बदलाव पर फोकस कर लिया। अरविंद केजरीवाल ने हर सभा में सिर्फ एक मौका मांगना शुरू कर दिया। इससे बदलाव की लहर और मजबूत होती गई। उन्हें जीत मिली।

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देश में अपना आधार खोती जा रही कांग्रेस के लिए पंजाब जैसा प्रदेश भी हाथ से निकल जाना उसके लिए बड़ा झटका है। हार के लिए पार्टी की गुटबाजी का प्रमुख कारण सामने आने ने पार्टी आलाकमान के लिए दोहरी चुनौती पेश कर दी है। अब देखना है कि इस हार के बाद कांग्रेस में उठने वाले विद्रोही स्वर से पार्टी कैसे निपटती है?

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