नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसी प्रयोगशाला में प्रवेश करते हैं, जहां एक एआई एजेंट बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सावधानीपूर्वक माइक्रोस्कोप का लेंस सेट कर रहा है, प्रयोग कर रहा है और परिणामों का विश्लेषण कर रहा है।
दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने डेनमार्क और जर्मनी के सहयोगियों के साथ मिलकर इस कल्पना को वास्तविकता में बदल दिया है।
‘नेचर कम्युनिकेशंस’ पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र ‘इवैल्युएटिंग लार्ज लैंग्वेज मॉडल एजेंट्स फॉर ऑटोमेशन ऑफ एटामिक फोर्स माइक्रोस्कोपी’ में इस अविष्कार का विवरण दिया गया है।
शोधपत्र में कहा गया है कि चैटजीपीटी जैसे एआई मॉडल मुख्य रूप से डिजिटल सहायकों के रूप में काम करते रहे हैं, जो दस्तावेज तैयार करने, प्रश्नों के उत्तर देने और डेटा का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
हालांकि, अब शोधकर्ता कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित एआईएलए (आर्टिफिशियली इंटेलिजेंट लैब असिस्टेंट) विकसित करने में कामयाब हुए हैं, जो वास्तविक प्रयोगशालाओं में काम करने और एक मानव वैज्ञानिक की तरह शुरू से अंत तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने में सक्षम है।
‘स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च’ के पीएचडी छात्र इंद्रजीत मंडल ने कहा, “एआईएलए दैनिक प्रयोगों में मेरी मदद करता है और शोध की गति बढ़ाता है। पहले हाई-रिजोल्यूशन वाली साफ तस्वीरें हासिल करने के लिए माइक्रोस्कोप के लेंस को सेट करने में पूरा दिन लग जाता था। अब यही काम केवल सात से दस मिनट में पूरा हो जाता है।”
भाषा
शुभम पारुल
पारुल